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________________ लिखा हुआ है। इसके पश्चात् अन्य श्वेताम्बर विद्वानोंने भी जम्बूस्वामिचरितका निर्माण किया है, परन्तु इनमें कलिकाल-सर्वज्ञ हेमचन्द्र आचार्य और जयशेखरसूरिका नाम विशेष महत्त्वका है । हेमचन्द्र १२ वीं शतब्दिके प्रसिद्ध आचार्य हो गये हैं। इन्होंने अपने परिशिष्ट पर्वके आदिके चार अध्यायोंमें जम्बूस्वामीका चरित लिखा है । जयशेखरसूरिका समय वि० सं० १४३६ है। ये कवि-चक्रवतीके नामसे प्रसिद्ध हो गये हैं। इन्होंने ६ प्रकरणोंमें ७२६ श्लोक-प्रमाण जम्बूस्वामिचरित नामक काव्यकी रचना की है। दिगम्बर-साहित्यमें भी प्राकृत और संस्कृत भाषामें कई जम्बूस्वामि-चरित होनेका अनुमान किया जाता है । उक्त जैनग्रन्थावलिमें प्राकृत संस्कृत और गद्यमें लिखे हुए नौ जम्बूस्वामिचरित और कथानकोंका उल्लेख किया गया है और उनमें पाँच प्रन्थकर्ताओंके तो नाम भी दिये हैं। ये नाम निम्न प्रकारसे हैंपं० सागरदत्त, मुवनकीर्ति, पद्मसुन्दर, सकलहर्ष और मानसिंह । इन सब ग्रन्थकर्ताओंका विशेष परिचय नहीं दिया गया है । भुवनकीतिके विषयमें लिखा है- 'भुवनकीर्ति सकलचन्द्रके शिष्य थे' । यद्यपि भुवनकीर्ति श्वेताम्बर आम्नायमें भी हो गये हैं, परन्तु प्रस्तुत भुवनकीर्ति दिगम्बर-परम्पराके ही मालूम होते हैं। प्रो० बेबर (Waber) ने सकलचन्द्रका समय १५२० वि० सं० लिखा है। संभवत: भुवनकीर्तिने इस काव्यको विक्रमकी सोलहवीं शताब्दिमें लिखा है। यह प्रति राधनपुरमें मौजूद है । दिगम्बर आम्नायमें कवि राजमल्लके अतिरिक्त जिनदासने भी हिन्दीमें छन्दोबद्ध जम्बूस्वामिचरितकी रचना की है। संभवतः ये जिनदास वहीं ब्रह्मचारी जिनदास हैं जो सकलकीर्तिके
SR No.034462
Book TitleJambuswami Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmalla Pandit, Jagdishchandra Shastri
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1937
Total Pages288
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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