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________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार 41 गांधीजी का अहिंसामय जीवन वर्तमान में भी प्रासंगिक एवं प्रेरणास्पद गांधीजी की 150वीं जयन्ती विश्व अहिंसा दिवस पर विशेष प्रवचन झाड़ झंकाड़ को उखाड़ के, जो साफसफा मैदान बना दे उसे आँधी कहते है । जो विदेशी सल्तनत को उखाड़ के, देश को सुखमय बना दे उसे महात्मा गाँधी कहते हैं ।। 85 अहिंसा कितना बड़ा शस्त्र है शायद गांधीजी से पूर्व इसका प्रयोग किसी ने इस तरह से इतनी श्रद्धा व विश्वास के साथ नहीं किया होगा इसीलिए मानवता के इतिहास में गांधीजी का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। गांधीजी का 150वीं जयन्ती वर्ष पर उनके प्रेरणास्पद अहिंसामय जीवन की वर्तमान प्रासंगिकता पर संबोधित करते हुए आज की प्रातःकालीन प्रवचन सभा में गुरुदेव आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि आज के युग में अहिंसक जीवन नहीं जिया जा सकता अथवा अहिंसा को जीवन में अपनाना व्यवहारिक नहीं हैं उनके लिए गांधीजी का जीवन जीवंत उदाहरण है। आज बच्चों ने उनकी भूमिका निभाते हुए बिल्कुल सत्य कहा कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। ऐसा कहने वाला महापुरुष विरला ही होता है जो दावे के साथ कह सके कि जैसा मैने किया वैसा आप भी कर सकते हैं । वस्तुतः उनके जीवन में कथनी करनी, विचार, व्यवहार आदि में कभी कोई अंतर नहीं रहा। जबकि आज के नेताओं में यह चरित्र बहुत मुश्किल से देखने को मिलता है। गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग को जीवन की पूर्णता के लिए जरूरी माना गया है। गांधीजी में इन तीनों का समन्वय था। इतिहास में कई सम्राट ऐसे हुए जो कभी जैन व बौद्ध धर्म का दामन थामे रहे किन्तु उन्होंने भी हथियार उठाया जबकि सारी दुनियाँ पर और लोगों के दिलों पर राज करने वाले अहिंसा के पुजारी ने कभी हथियार नहीं उठाया। वे ता उम्र दृढ़ता के साथ अहिंसा का दामन थामे रहे। देश को विदेशी आक्रांताओं की गुलामी से मुक्त करने के लिए जिसने न तो कभी स्वयं हथियार उठाया और न हथियार उठाने का समर्थन किया। गांधीजी तब भी नेता थे आज भी नेताओं के नेता हैं। गरम दल के देशभक्तिपूर्ण प्रयासों को कम नहीं आंका जा सकता किन्तु इस रस्ते पर चलकर इतनी जल्दी आजादी नहीं मिल सकती थी। इसीलिए गांधीजी के बारे में ये पंक्तियां बहुचर्चित है
SR No.034459
Book TitleAnuvrat Sadachar Aur Shakahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLokesh Jain
PublisherPrachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan
Publication Year2019
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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