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________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार ने कहा कि धर्म की शरण में मनुष्य को ही नहीं अपितु समस्त प्राणियों को आने का अधिकार है, सभी उसकी छत्रछाया में अपना कल्याण कर सकते हैं। 55 आचार्यश्री के दर्शनार्थ गुजरात विधान सभा के दंडक एवं खेडब्रह्मा विधानसभा क्षेत्र से विधायक तथा छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मुख्य सचेतक श्रीमान अश्विनभाई कोतवाल श्रद्धा के साथ सीधे चलकर आचार्यश्री के साधना कक्ष में पहुँचे और विनयपूर्वक वंदना कर अपने जीवन में धन्यता का अनुभव किया । गुरुदेव ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि गुजरात की राजनीति में गांधीजी के सिद्धांत यथावत् हैं और यहाँ के राजनेताओं में भी धर्म संस्कृति अहिंसा और गुरुओं के प्रति सम्मान है उसीसे राज्य प्रगतिशील है । 27 व्यक्तित्व विकास के लिए स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता में भेद जरूरी कृपालु आचार्यश्री ने अमृतवाणी की वर्षा करते हुए कहा कि आज का अधिकांश युवा स्वतंत्रता की अंधी दौड़ में घर-परिवार, समाज, धर्म, संस्कृति सभी के सामने विद्रोह कर रहा है जो सही नहीं है। आत्मार्थी बन्धुओ ! स्वतंत्रता व स्वच्छंदता के बीच पतली भेद रेखा है जिसको जाने बिना स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छंदता का दुराचरण किया जा रहा है, संयम, अनुशासन व मर्यादाओं की उपेक्षा की जा रही है, उसे भलीभांति नहीं समझा जा सकता। आज इसी मदान्धता, मोहान्धता में युवा आवेश में आकर होशोहवाश खोकर माता-पिता और गुरुजनों की जीवनोपयोगी सीख को जीवन में आत्मसात नहीं करके आत्मघात को खुला निमंत्रण दे रहा है। गुरुदेव ने बहुत ही सुन्दर शब्दों में समझाते हुए कहा कि क्या गंगा, क्या यमुना, क्या साबरमती की धार । वह घर तीर्थ समान है, जहाँ बच्चे करते माता-पिता का सत्कार ।। जिस तरह नदी "किनारे" के बिना उपयोगी नहीं बनती, उसी प्रकार जीवन भी संयम रूपी बाड़ के बिना उपयोगी नहीं बन सकता। माँ-बाप तो संतानों का भला ही चाहते हैं । संतान जो कुछ जोश में नहीं देख पाती उसे इन बुजुर्गों की अनुभवी आँखे भांप लेती हैं और कड़वे कदम उठाकर भी युवाओं को आगाह करती रहती हैं और वे इसीलिए इन युवाओं की नजर में सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। कुछ तो इतने कुपात्र होते हैं कि संवेदनहीन बनकर उन्हें वृद्धाश्रम के दरवाजे पर पटक आते हैं । वृद्धाश्रमों का होना खराब नहीं है क्योंकि वे निराश्रयों के जीवन का आधार बनते हैं किन्तु इस तरह से माता - पिता का जो अपमान होता है वह सबसे शर्मजनक मानवता को लजाने वाला कार्य है।
SR No.034459
Book TitleAnuvrat Sadachar Aur Shakahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLokesh Jain
PublisherPrachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan
Publication Year2019
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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