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________________ अणुव्रत सदाचार और शाकाहार मोदीजी के बड़े भाई श्री सोमभाई मोदी परमपूज्य गुरुवर चतुर्थ पट्टाचार्य आचार्य श्रीसुनीलसागरजी महाराज के दर्शनार्थ पधारे एवं आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन की धन्यता का अनुभव किया । तन मन धन से समाज सेवा के क्षेत्र में समर्पित, गुरुचरणों में नत होकर सरल स्वभावी श्री सोमभाई ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री का भाई नहीं अपितु नरेन्द्रभाई का बड़ा भाई हूँ क्योंकि उन पर तो सारे देश का समान हक है। सरकारी सेवा से निवृत होकर श्री सोमभाई अपने गृहनगर वडनगर में समाजसेवा का मानवीय कार्य कर रहे हैं । वृद्धाश्रम शुरु करने के साथ साथ वृक्षारोपण, रक्तदान के शिविरों का आयोजन तथा कॉलेज के युवाओं में थेलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी जड़ से नेस्तनाबूत करने की मुहिम शुरु करके विवाह हेतु कुंडली मिलाने से पूर्व थैलेसीमिया के परीक्षण पर जोर दे रहे हैं । 26 शिक्षाव्रत - प्रोषधोपवास आत्मा की शुद्धि के लिए आवश्यक 53 परम पूज्य गुरुदेव ने शिक्षाव्रत प्रोषधोपवास पर व्याख्यान देते हुए कहा कि वास्तविक प्रोषधोपवास 16 प्रहर अर्थात् 48 घंटों का होता है जिसमें साधक निराहार रहते हुए धर्म की साधना करता है । जिस दिन का उपवास होता है उससे पिछले दिन आधे दिन के बाद से अन्न जल का त्याग कर देना दूसरे दिन उपवास करते हुए एकान्त वास, जिनालय में, मुनि के समीप वास करते हुए स्वाध्याय मनन चिन्तन करना सारे अध्यावसायों का उस दिन के लिए त्याग करते हुए, मन, वचन और काय तीनों गुप्तियों के साथ सर्व इन्द्रियों के विषयों से विरक्त होकर शांत स्वभाव से मोक्ष मार्ग का चिन्तन करना । तत्पश्चात् अगले दिन दोपहर को भोजन आदि ग्रहण करना । उपवास में नींद को जीतकर आलस्य को त्यागकर परिणामों की निर्मलता बढ़ाने का पुरुषार्थ किया जाता है । आचार्य भगवन् कहते हैं कि प्रोषधोपवास का विशेष फल मिलता है। चारित्र मोहनीय कर्म के उदय के कारण वह सकलव्रती मुनिराज तो नहीं हो सकता किन्तु उतने समय के लिए उस साधक को सकलवती की तरह समान फल प्राप्त होता है क्योंकि उसने महाव्रती की तरह उतने समय के लिए सबका त्याग किया है। जो किसी भी जीव के लिए, आध्यात्मिक पथ के साधक के लिए विशेष उपलब्धि से कम नहीं है। परमहितेषी आचार्य अमृतचंद्राचार्यजी कहते हैं
SR No.034459
Book TitleAnuvrat Sadachar Aur Shakahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLokesh Jain
PublisherPrachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan
Publication Year2019
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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