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________________ 116 अणुव्रत सदाचार और शाकाहार लेकर हमें अपने जीवन को सुन्दर बनाना चाहिए। हे भव्यजनो! सौभाग्य से यदि मनुष्य पर्याय मिली है तो हर एक पल का उपयोग आत्मकल्याण हेतु करो, इससे अनंत पापों का नाश होता है। जिस तरह एक किसान एक बीज की अच्छी तरह देखभाल करता है उस बीज को अच्छी जमीन में बो कर मनचाहे फल प्राप्त करता है उसी तरह हमें इस मनुष्य जन्म का उपयोग एवं जतन करना चाहिए और मोक्ष मार्ग पर बढ़ना चाहिए। हमें अपने जीवन को गैर जरूरी परिग्रह में फंसाकर नहीं रहना चाहिए। परिग्रह का मतलब है कि जिसकी हमें जरूरत नहीं है उसे भी इकट्ठा करना, जो हमारा नहीं है अथवा जिसे हम प्राप्त नहीं कर सकते उसे एकत्र करने के आर्तध्यान में लगे रहना और इसी राग-द्वेष के व्यापार में जिंदगी समाप्त कर लेना। हे आत्मार्थियो! समझो जो आपका है वह कहीं भी जाने वाला नहीं और जो चला गया वह हमारा था ही नहीं, यह निश्चित तौर पर मान लेना चाहिए तथा इसके लिए संताप शोक नहीं करना चाहिए हताशा के आगोश में नहीं डूबना चाहिए। इस तरह का परिग्रह आन्तरिक परिग्रह है जो दिखता नहीं है किन्तु इसका फल अवश्य भोगना पड़ता है। इस परिग्रह के लिए आज जो आपाधापी हो रही है, हिंसादि उपकरणों का सहारा लिया जा रहा है, उसकी परिणति क्या होती है यह हमें भली भांति समझ लेना चाहिए। देश के महान वैज्ञानिक एवं राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद ने भी कहा था कि विश्व शांति अणुबम से नहीं अणुव्रत से आयेगी। इसलिए हमें समय रहते समझ जाना चाहिए, संभल जाना चाहिए और परिग्रह के संग्रह हेतु हिंसादि पाप प्रवृत्तियों से बचते रहना चाहिए। 55 अनर्थदण्ड से बचो और सार्थकता के लिए करो अहिंसक पुरुषार्थ पर्वत चढ़ने में मेहनत लगती है, ढलान उतरने में नहीं। पुण्य के लिए पुरुषार्थ करना पड़ता है पाप के लिए नहीं।। सार्थकता की सिद्धि के लिए पुरुषार्थ करना पड़ता है, निरर्थक प्रवृत्तियों के लिए नहीं। गीत गाने के लिए अभ्यास करना होता है, गाली देने के लिए नहीं।। परम पूज्य आचार्य श्री सुनीलसागरजी महाराज ने सुखी, सहज एवं समृद्ध जीवन के रहस्य को उद्घाटित करते हुए कहा कि जीवन में अनावश्यक व व्यर्थ की चीजें तो अपने आप आ जाती है, बुराइयां बिना किसी मेहनत के पनप जाती है जबकि शुभ के लिए, ऊपर उठने के लिए विवेक को जागृत करना पड़ता है। अशुभ को सोचने, करने में देर कहाँ लगती है किन्तु अच्छी दिशा तय करने के लिए नियोजित परिश्रम करना होता है।
SR No.034459
Book TitleAnuvrat Sadachar Aur Shakahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLokesh Jain
PublisherPrachya Vidya evam Jain Sanskriti Samrakshan Samsthan
Publication Year2019
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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