SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ DIVINE BLESSINGS मंगल आशीर्वाद - परम पूज्य सिद्धान्तचक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य १०८ श्री विद्यानन्द जी मुनिराज संकल्प्यं कल्पवृक्षस्य चिन्त्यं चिन्तामणेरपि । असंकल्प्यमसंचिन्त्यं फलं धर्मादवाप्यते ॥२२॥ - आचार्य गुणभद्र, 'आत्मानुशासन' अर्थ - कल्पवृक्ष का फल प्रार्थना करने पर प्राप्त होता है और चिन्तामणि का फल कामना करने पर प्राप्त होता है। परन्तु धर्म का फल बिना प्रार्थना और बिना कामना के ही प्राप्त होता है। 'आत्मानुशासन' में ऐसे ही अनेक महत्त्वपूर्ण श्लोक आये हैं जिन्होंने दूर तक अपना प्रभाव छोड़ा है। जैसे कि इस श्लोक का हिन्दी अनुवाद पं. भूदरदास जी ने किया और वह (VII)
SR No.034449
Book TitleAatmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay K Jain
PublisherVikalp Printers
Publication Year2019
Total Pages290
LanguageHindi, Sanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy