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________________ प्र. 25. उत्तर प्र. 26. उत्तर प्र. 27. उत्तर प्र. 28. उत्तर वन्दन करने से किस गुण की प्राप्ति होती है ? वन्दन करने से जीव नीच गोत्रकर्म का क्षय करता है और उच्च गोत्रकर्म का बन्ध करता है, फिर वह स्थिर सौभाग्यशाली होता है, उसकी आज्ञा सफल होती है तथा वह दाक्षिण्यभाव अर्थात् लोकप्रियता को प्राप्त कर लेता है। 'इरियावहिया' के पाठ का क्या प्रयोजन है ? 'आलोचना सूत्र' या 'इरियावहिया' के पाठ से गमनागमन के दोषों की शुद्धि की जाती है। गमनागमन करते हुए प्रमादवश यदि किसी जीव को पीड़ा पहुँची हो, तो इस पाठ के द्वारा खेद प्रकट किया जाता है। 'इरियावहिया' के पाठ में कितने प्रकार के जीवों की विराधना का उल्लेख है ? इरियावहिया के पाठ में पाँच प्रकार के जीव एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय की विराधना का उल्लेख है। 'इरियावडिया' के पाठ में विराधना (जीव-हिंसा) के कितने प्रकार बतलाये हैं और कौन-कौन से हैं? 'इरियावहिया' के पाठ में विराधना दस प्रकार की बतलायी है, यथा - 1. अभिया, 2. वत्तिया, 3 लेसिया, 4. संघाझ्या, 5. संघट्टिया, 6. परियाविया, 7. किलामिया, 8. उद्दविया, 9. ठाणाओ ठाणं संकामिया और 10. जीवियाओ ववरोविया । {96} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र -
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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