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________________ वोसिरामि निरोगता रहे तब तक अर्थात् शरीर में भयंकर रोग हो जाये तो दवाई आदि का आगार है। त्याग करता हूँ । पत्ति का प्रमाण व बिना मुँहपत्ति बाँधे धर्म क्रिया करने का प्रायश्चित्त गाथा गाथा एक-वीसांगुलायामा, सोलसंगुल - वित्थिण्णा । चउक्कार - संजुया य, मुंहपोत्तिय एरिसा होई ।।1 ॥ अर्थ- 21 अंगुल लम्बा और 16 अंगुल चौड़ा ऐसे चौकाने वस्त्र की मुँहपत्ति होती है। ( हर व्यक्ति के अपने-अपने अंगुल से लम्बाई-चौड़ाई का नाप होगा) । मुहणंतगेण कणोट्ठिया, विणा बंधड़ जे कोवि सावए धम्मकिरिया य करंति । तस्स इक्कारस सामाइयस्स, णं पायच्छित्तं भवइ ॥ 2 ॥ अर्थ-जो श्रावक मुँह पर मुँहपत्ति बाँधे बिना सामायिक करे, उसे 11 सामायिक का प्रायश्चित्त आता है I -------- {85} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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