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________________ सशक्त बनती है। लब्धियाँ प्राप्त होती हैं, देव सेवा करते हैं, इत्यादि तप के अनेक फल हैं। प्र. 84. श्रावक के अतिचार कितने व कौन-कौन से हैं ? उत्तर श्रावक के 99 अतिचार हैं। ज्ञान के 14, दर्शन के 5, चारित्राचारित्र के (60+15) 75 व तप (संलेखना) के 5 हैं। प्र. 85. खमासमणो और भाव वन्दना का आसन किसका प्रतीक है? उत्तर खमासमणो का आसन कोमलता व नम्रता का प्रतीक है तथा वन्दना का आसन शरणागति व विनय का प्रतीक है। प्र. 86. इच्छामि खमासमणो दो बार क्यों बोला जाता है? उत्तर जिस प्रकार दूत राजा को नमस्कार कर कार्य निवेदन करता है और राजा से विदा होते समय फिर नमस्कार करता है, उसी प्रकार शिष्य कार्य को निवेदन करने के लिए अथवा अपराध की क्षमायाचना करने के लिए गुरु को 'खमासमणो' के पाठ से प्रथम वंदना करता है, और जब गुरु महाराज क्षमा प्रदान कर देते हैं, तब शिष्य पुन: वन्दना करके वापस चला जाता है। बारह आवर्तन पूर्वक वंदन की पूरी विधि दो बार इच्छामि खमासमणो बोलने से ही सम्भव है। अत: पूर्वाचार्यों ने दो बार इच्छामि खमासमणो बोलने की विधि बतलायी है। 'इच्छामि खमासमणो' के पाठ में आये "आवस्सियाए पडिक्कमामि" दूसरे खमासमणो में क्यों नहीं बोलते हैं? उत्तर जिस प्रकार प्रतिक्रमण की अन्य पाटियों के उच्चारण की अपनी-अपनी विधियाँ एवं मुद्राएँ हैं उसी प्रकार खमासमणो में {126} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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