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________________ मिनट की होती है, जबकि पौषध कम से कम चार प्रहर का (लगभग 12 घण्टे का) होता है। सामायिक में निद्रा और आहार का त्याग करना ही होता है, जबकि पौषध चार और उससे अधिक प्रहर का होने से रात्रि के समय में निद्रा ली जा सकती है। प्रतिपूर्ण पौषध में तो दिन में भी चारों आहारों का त्याग रहता है, जबकि देश पौषध के ग्यारहवें पौषध में तो दिन में चारों आहार का त्याग होता है किंतु दसवें पौषध में दिन में अचित्त पानी ग्रहण किया जा सकता है। रात्रि में तो उक्त सभी में चौविहार ही होता है। प्र. 69. पहले सामायिक ली हुई हो और पीछे पौषध की भावना जगे तो, सामायिक पालकर पौषध ले या सीधे ही? उत्तर पौषध सीधे ही लेना चाहिए, क्योंकि पालकर लेने से बीच में अव्रत लगता है। कदाचित् पालते-पालते उसकी भावना मन्द भी हो सकती है। प्र. 70. पौषध लेने के पश्चात् सामायिक का काल आ जाने पर सामायिक पालें या नहीं? उत्तर सामायिक विधिवत् न पालें, क्योंकि पौषध चल रहा है। सामायिक-पूर्ति की स्मृति के लिए नमस्कार मंत्र आदि गिन लें। प्र. 71. पौषध में सामायिक करें या नहीं? उत्तर पौषध में सावध योगों का त्याग होने से सामायिक की तरह ही है, परन्तु निद्रा, आलम्बन आदि इतने समय तक नहीं लूँगा, आदि के नियम कर सकते हैं। प्र. 72. बारह व्रतों में बिना करण कोटि का कौनसा व्रत है? __{121} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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