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________________ प्र. 25. उत्तर प्र. 26. उत्तर ज्ञान व ज्ञानी की सेवा क्यों करनी चाहिए ? ज्ञान व ज्ञानी की सेवा पाँच कारणों से करनी चाहिए - (1) हमें नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है। (2) हमारे सन्देह का निवारण होता है। (3) सत्यासत्य का निर्णय होता है। (4) अतिचारों की शुद्धि होती है। (5) नवीन प्रेरणा से हमारे सम्यग्ज्ञान, दर्शन, चारित्र व तप शुद्ध तथा दृढ़ बनते हैं। सम्यक्त्व किसे कहते हैं? प्र. 28. उत्तर सुदेव, सुगुरु, सुधर्म पर श्रद्धा रखना सम्यक्त्व कहलाता है। जिनेश्वर भगवान द्वारा प्ररूपित तत्त्वों में यथार्थ विश्वास करना सम्यक्त्व है। मिथ्यात्व मोहनीय आदि सात प्रकृतियों में क्षय, उपशम अथवा क्षयोपशम से उत्पन्न आत्मा के श्रद्धा रूप परिणामों को 'सम्यक्त्व' कहते हैं। प्र. 27. सुदेव कौन हैं ? उत्तर जो राग-द्वेष से रहित हैं, अठारह दोष रहित और बारह गुण सहित हैं। सर्वज्ञ सर्वदर्शी हैं जिनकी वाणी में जीवों का एकान्त हित है। जिनकी कथनी व करनी में अन्तर नहीं है जो देवों के भी देव हैं। ऐसे तीन लोक के वंदनीय, पूजनीय, परम आराध्य, परमेश्वर प्रभु अरिहंत और सिद्ध हमारे सुदेव हैं। सुगुरु कौन हैं? जो तीन करण तीन योग से अहिंसादि पंच महाव्रत का पालन करते हैं। कंचन - कामिनी के त्यागी हैं पाँच समिति, तीन गुप्ति का निर्दोष पालन करते हैं । भिक्षाचर्या द्वारा जीवननिर्वाह करते हुए स्वयं संसार-सागर से तिरते हैं, अन्य जीवों {108} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र -
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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