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________________ 11. सामायिक में प्रभावना, इनाम आदि स्वीकार नहीं करूँगा/करूँगी। 12. सामायिक व्रत विधि से लूँगा/लूँगी, विधि से पालूँगा/पालूँगी, विकथा, गप्पे, हँसी मजाक नहीं करूंगा/करूँगी। सामायिक व्रत के आगार बीमारी, परदेशगमन, पराधीनता, वृद्धावस्था कोई सरकारी या लौकिक कार्य आ जाने पर आगार। किन्तु अन्य समय में पूरी कर दूंगा/दूंगी। सामायिक व्रत की शिक्षाएँ 1. विषय विकार को उत्पन्न करने वाले उपकरण और वस्त्र नहीं रखने चाहिए। स्त्री/पुरुष आदि के विषयोत्पादक चित्र हो, ऐसे मकान में सामायिक नहीं करनी चाहिए। 2. सामायिक बत्तीस दोष टालकर करनी चाहिए। 3. सामायिक करने से श्रावक, श्रमण के समान हो जाता है, इसलिए श्रावक को बारम्बार सामायिक करनी चाहिए। 4. दो घड़ी समभाव युक्त सामायिक करने वाला श्रावक बानवें करोड़ उनसठ लाख पच्चीस हजार नौ सौ पच्चीस पल्योपम और एक पल्योपम के आठ भाग के तीन भाग सहित देव का आयुष्य बाँधता है। दसवाँ स्थूल देशावकाशिक व्रत देशावकाशिक शिक्षाव्रत की प्रतिज्ञा द्रव्य से-संवर धर्म की विशेष साधना करने हेतु भोगोपभोग वस्तुओं का एक दिन के लिए परिमाण करूँगा/करूँगी तथा प्रतिदिन चौदह । नियम चितारूँगा/चितारूँगी। क्षेत्र से-एक दिन के लिए निर्धारित क्षेत्र । (51)
SR No.034372
Book TitleShravak Ke Barah Vrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangla Choradiya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2015
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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