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________________ आगार- निम्न कारणों से-आग इधर-उधर रखने पर, लगी आग बुझाने पर, बन्दूक कारणवश चलाने पर, डाम आदि देने पर, संघ, जाति एवं अन्य प्रसंग पर अग्नि का आरंभ करना पड़े तो मेरे आगार हैं। 4. वायुकाय-(हवा) प्रतिदिन छोटे बड़े पंखे ( ) ए.सी. ( ) पालखी, पालना, झूला, लिफ्ट, हारमोनियम, पियानो, फोनोग्राम, सारंगी, तबला, वाजिंत्र, ऊखल, मूसल, सूप, इमामदस्ता, झाड़ आदि की संख्या ( ) के उपरान्त त्याग। डोलर झूला, चक्कर झूला, बिजली का झूला आदि नग ( ) रेडिओ, टेलिफोन आदि नग ( ) चरखा, रस निकालने का साँचा ( ) 5. वनस्पतिकाय- जमीकंद का संपूर्ण त्याग, अथवा संख्या ( ) हरी सब्जी संख्या ( ) के उपरान्त त्याग । फल संख्या ( ), फूल संख्या ( ) हरी घास का भारा या गाड़ी नग ( ) खेत कटाई और नींदवाई निमित्त बीघा ( ) शाक सुखाने के निमित्त मण ( ) प्रतिवर्ष । बगीचा, वनस्पति काटने, कटवाने का त्याग। अचार के निमित्त किलो प्रतिवर्ष ( ) पीसना-पीसाना, दलनदलाना, भिगोना-भिगवाना पड़े तो वजन ( ) के उपरान्त त्याग। आगार-अन्य स्थावरों के कारण हिलते चलते, मेहनत करते, वस्तु उठाते, दुष्काल में शरीर निर्वाह आदि कारणों से अनिवार्य वनस्पति आरंभ करना पड़े तो उसका मेरे आगार हैं। पाँच स्थावर संबंधी आगार 1. इन पाँच स्थावरों की जो मर्यादा की है उसमें व्यापार, कारखाना, कॉन्ट्रेक्ट, नौकरी, अधिकारी की आज्ञा, कामकाज निमित्त, अनुकम्पा आदि के कारणों से पाँच स्थावरों की हिंसा होती हो तो आगार है। 2. जाति, पंचायत, संस्था की व्यवस्था, क्षेत्र के ट्रस्टी बनना कंपनी में साझेदारी, शेयर की खरीदी, आदि कारणों से स्थावर जीवों की हिंसा होती हो तो मेरे आगार हैं। (9) 22
SR No.034372
Book TitleShravak Ke Barah Vrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangla Choradiya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2015
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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