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________________ xx पुण्य-पाप तत्त्व अत: मैं उन सभी आगमज्ञ, विद्वानों, तत्त्वचिंतकों एवं विचारकों के सुझावों, समीक्षाओं, समालोचनाओं एवं मार्ग-दर्शन का आभारी रहूँगा, जो प्रस्तुत कृति का तटस्थ भाव से अध्ययन कर अपने मन्तव्य से मुझे अवगत करायेंगे। मेरे जीवन-निर्माण एवं आध्यात्मिक रुचि जागृत करने में आचार्यप्रवर श्री हस्तीमलजी म.सा. की महती कृपा रही है। आज मैं जो भी हूँ सब उन्हीं की देन है। श्री देवेन्द्रराजजी मेहता से गत अनेक वर्षों से मेरा निकट का सम्पर्क रहा है। आप लेखन के लिए सतत प्रेरणा देते रहे हैं। यह पुस्तक आपकी ही प्रेरणा से पहले प्राकृत भारती अकादमी से प्रकाशित हुई। अब यह पुस्तक सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल से प्रकाशित हो रही है, इसका मुझे प्रमोद है। पुस्तक के प्रकाशन में मण्डल के अध्यक्ष श्री पारसचन्दजी हीरावत, कार्याध्यक्ष श्री प्रमोदजी महनोत, श्री पदमचन्दजी कोठारी एवं मंत्री श्री विनयचन्दजी डागा की विशेष प्रेरणा रही है। इस पुस्तक की पाण्डुलिपि का स्व. श्री सम्पतराजजी डोसी ने सैद्धान्तिक दृष्टि से आद्योपान्त अवलोकन कर अपने सुझाव दिये। स्व. श्री मोहनलालजी मूथा ने भी समय-समय पर हुई चर्चा में पुस्तक के सैद्धांतिक पक्ष को पुष्ट किया। आदरणीय प्रो. श्री कमलचन्दजी सोगाणी ने द्वितीय संस्करण का अवलोकन कर अपने सुझाव दिये एवं इसका प्रचार-प्रसार करने की भावना व्यक्त की। प्रिय प्रो. धर्मचन्दजी जैन ने पुस्तक का सम्पादन किया। मैं सबका हृदय से कृतज्ञ हूँ। ___ आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्रजी म.सा. एवं उनके आज्ञानुवर्ती तत्त्वचिंतक श्री प्रमोदमुनिजी म.सा. की सहज कृपा से भी मैं उपकृत हूँ। मेरे परम आत्मीय श्री मोफतराजजी मुणोत का भी मैं आभारी हूँ, जिनका मुझे मुक्त हृदय से पूरा सहयोग प्राप्त है। ___ -पं. श्री कन्हैयालाल लोढ़ा 000
SR No.034369
Book TitlePunya Paap Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2017
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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