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________________ 72 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य एक बार ‘बसु' जब पेरिस में वनस्पति को सचेतन सिद्ध करने वाले प्रयोग दिखा रहे थे, उस समय उन्होंने पौधे पर 'पोटेशियम साइनाइड' विष का प्रयोग किया। यह विष इतना तीव्र होता है कि इसकी तिल भर जितनी-सी मात्रा मुँह में रखने से मनुष्य की तत्क्षण मृत्यु हो जाती है। परंतु वहाँ उस विष के प्रयोग से पौधा मुरझाने के स्थान पर प्रसन्न हो गया। यह बात यंत्रों ने उपस्थित दर्शकों के समक्ष प्रत्यक्ष कर दी। बसु विचार में पड़ गये। परंतु बसु को अपने सिद्धांत की सच्चाई पर अडिग विश्वास था। अत: अनुमान से जान लिया कि यह विष न होकर कोई अन्य स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ ही हो सकता है। अतः आपने तथाकथित उस अत्यन्त घात विष को सबके समक्ष खा लिया और बतला दिया कि दवाखाने से आया हुआ यह विष, विष नहीं चीनी है। दवाखाने से यह विष देने वाला व्यक्ति भी वहाँ दर्शकों में उपस्थित था। उसने उक्त तथ्य को स्वीकार किया और विष के बदले चीनी देने के कारण का स्पष्टीकरण करते हुए कहा- “मुझे ज्ञात नहीं था कि विष का उपयोग इस प्रयोग में होने वाला है तथा यह संदेह हो गया था कि विष-क्रेता व्यक्ति आत्मघात करना चाहता है, इसीलिए विष के बदले उसकी वर्ण वाली यह चीनी दी थी।" ‘बसु' ने यह भी सिद्ध किया कि जीवित प्राणियों में पाये जाने वाले (1) सचेतनता (Irritability), (2) स्पंदनशीलता (Movement), (3) शारीरिक गठन (Organisation), (4) भोजन (Food), (5) वर्धन (Growth), (6) श्वसन (Respiration), (7) प्रजनन (Reproduction), (8) अनुकूलन (Adoptation), (9) विसर्जन (Excretion), (10) मरण (Death), आदि समस्त विशेष गुण वनस्पतियों में विद्यमान हैं। ये गुण निर्जीव पदार्थों में नहीं पाये जाते हैं, अत: वनस्पति विज्ञान,
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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