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________________ जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य अपेक्षा अध्यात्मिक विकास के लिए अधिक प्रयास करें। यही कारण है कि प्राचीन ऋषि-महर्षियों ने भौतिक वस्तुओं, इनकी शक्तियों एवं साधनों तथा इन सबके ज्ञान पर केवल इतना ही ध्यान दिया जितना जीवन में आवश्यक था। उन्होंने इनके विस्तार पूर्वक वर्णन को आवश्यक नहीं समझा। अतएव उन्होंने इनका वर्णन संकेतात्मक व सूत्रात्मक रूप में किया है। वे सूत्र तथा संकेत आज के विज्ञान जगत् में फलित रूप में प्रत्यक्ष प्रमाणित हो रहे हैं। उस युग में आज जैसी प्रयोगशालाओं एवं यांत्रिक साधनों का अभाव होने पर भी अनेक रहस्यपूर्ण सूत्रों व सिद्धांतों का प्रतिपादन करना निश्चय ही उनके प्रणेताओं के अतिबौद्धिक एवं अलौकिक ज्ञान का परिचायक है। उन महर्षियों द्वारा कथित सूत्र आधुनिक विज्ञान जगत् में आश्चर्यजनक रूपों में सत्य प्रमाणित हो रहे हैं। __ जैन आगमों में जीव एवं अजीव तत्त्वों का जो विवेचन है वह आधुनिक वैज्ञानिकों के लिए अभी भी शोध का विषय बना हुआ है। आधुनिक विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में इन जीव-अजीव तत्त्वों तथा इनके विभिन्न भेदों एवं पक्षों पर इस पुस्तक में आगे के अध्यायों में विचार किया जाएगा। 000
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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