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________________ 244 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य में शास्त्रों में आया कि अल्पतम गतिमान परमाणु एक समय में एक प्रदेश से अपने निकटवर्ती दूसरे प्रदेश में जा सकता है। आकाश का एक प्रदेश उतना लघुतम है जितना एक परमाणु।” परमाणु की एक समय में अधिकतम गति चतुर्दश रज्ज्वात्मक लोक प्रमाण और न्यूनतम गति एक आकाशप्रदेश प्रमाण कही गई है। अत: इससे स्वत: यह फलितार्थ निकलता है कि परमाणु इस बीच की सारी गतियाँ यथाप्रसंग करता रहता है। जैनदर्शन में वर्णित इस सिद्धांत की पुष्टि वर्तमान विज्ञान द्वारा प्राप्त की गई अणु-परमाणु की विभिन्न गतियों की जानकारी से होती है। यथा हीरे आदि ठोस द्रव्यों में अणुओं (Molecules) की गति प्रति घंटा 960 मील है। 'शब्द की गति प्रति घण्टा 1100 मील है।' 'प्रत्येक इलेक्ट्रोन की अपनी कक्षा पर गति प्रति सैकेण्ड 1300 मील है।' 'प्रकाश की गति प्रति सैकेण्ड 1,86,294 मील है।' वायव्य पदार्थों (Gases) में अणुओं का कंपन इतना शीघ्र है कि वे एक सैकेण्ड में 6 अरब बार परस्पर टकरा जाते हैं। अत्यंत सूक्ष्म काल मापक घड़ी 'न्युक्लियर' से पता चला है कि लोह 57 के न्युक्लियस के प्रकम्पन से 10 खरब लहरें (गामारेंज) निकलती हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गये टेलीपैथी (विचार दूर प्रेषण) के प्रयोगों
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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