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________________ 214 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य में एक धनाणु (प्रोट्रोन) है। जिसके चारों ओर एक ऋणाणु (इलेक्ट्रोन) प्रति सैकेण्ड 1,300 मील की गति से निरंतर प्रदक्षिणा कर रहा है। यदि हम इसके धनाणु को कल्पना से आँवले के बराबर मान लें और इसी अनुपात से इसमें स्थित धनाणु (प्रोटोन) और ऋणाणु (इलेक्ट्रोन) के बीच खाली जगल को देखें तो वह 2,000 फुट चौड़ी होगी। इतने लघु परमाणु का इतना पोला होना विश्व का बहुत बड़ा विस्मय है। इसी हाइड्रोजन परमाणु के ऋणाणु और धनाणु का स्वरूप इस प्रकार हैऋणाणु (इलेक्ट्रोन) व्यास-1/500,000,000,000,0 इंच अर्थात् एक इंच का पचास खरबवाँ भाग। भार-हाइड्रोजन परमाणु के भार का 1/2,000 अर्थात् दो हजारवाँ भाग। गति-1,300 मील प्रति सैकेण्ड है। धनाणु (प्रोटोन) व्यास-लगभग ऋणाणु से 10 गुणा। भार-164/100,000,000,000,000,000,000,000,0 है। यह हाइड्रोजन परमाणु का संक्षिप्त परिचय है। इसी प्रकार जो जितनी संख्या का मौलिक तत्त्व है उसके कलेवर के केन्द्र में उतनी संख्या में प्रोटोन है व उतनी ही संख्या में इलेक्ट्रोन केन्द्र की प्रदक्षिणा करते रहते हैं। उदाहरणार्थ चाँदी को ही लें, इसकी मौलिक तत्त्व संख्या 47 है। अत: इसके परमाणु के केन्द्र में 47 प्रोटोन तथा 47 इलेक्ट्रोन केन्द्र के चारों ओर अपनी कक्षा पर परिभ्रमण करते हैं। यह ज्ञातव्य है कि केन्द्र में स्थित समस्त प्रोटोन एकीभूत होकर नाभि का रूप ले लेते हैं परंतु इलेक्ट्रोन अनेकों टोलियों में अपनी निश्चित कक्षाओं में घूमते हैं।
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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