SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 194 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य नाप के अनुसार एक मुहूर्त 48 मिनिट का या 2880 सैकेण्ड का होता है। अत: एक श्वासोच्छ्वास 2880/3773 अर्थात् एक सैकेण्ड से भी कम तथा एक आवलिका 2880 अर्थात् 1,64,20,096 एक सैकेण्ड के 5600वें भाग से भी कम होती है। एक आवलिका में असंख्य समय कहे गये हैं अतः एक सैकेण्ड में भी असंख्य समय हुए। 'समय' का इतना सूक्ष्म परिमाण साधारणतः बुद्धिग्राही नहीं है और न व्यवहार में इसका अंकन भी संभव है। अत: एक कल्पना मात्र लगता है। परंतु वर्तमान में विज्ञान ने समय नापने के लिए जिन आणविक घड़ियों का आविष्कार किया है उससे अनुमान लगाना सम्भव हो गया है, यथा “1964 में आणविक कालमान का प्रयोग आरंभ हुआ। अब एक सैकिण्ड की लम्बाई की व्यवस्था एक सीसियम अणु के 9,19,26,31,770 स्पंदनों के लिए आवश्यक अंतर्काल के रूप में की गई है। आणविक घड़ी द्वारा समय का निर्धारण इतनी बारीकी और विशुद्धता से किया जा सकता है कि इससे त्रुटि की संभावना 30 हजार वर्षों में एक सैकेण्ड से भी कम होगी। वैज्ञानिक आजकल एक हाइड्रोजन घड़ी विकसित कर रहे हैं जिसकी शुद्धता में त्रुटि की संभावना 3 करोड़ वर्षों के भीतर एक सैकेण्ड से भी कम होगी।"1 इस प्रकार आज विज्ञान जगत् में प्रयुक्त होने वाली आणविक घड़ी एक सैकेण्ड के नौ अरब उन्नीस करोड़ छब्बीस लाख इकत्तीस हजार सात सौ सत्तरवें भाग तक का स्थान सही प्रकट करती है। भौतिक तत्त्वों से निर्मित घड़ी अब एक सैकेण्ड का दस अरबवाँ भाग तक सही नापने में समर्थ है और भविष्य में इससे भी कम सूक्ष्म समय नापने वाली घड़ियों 1. साप्ताहिक हिन्दुस्तान, 23 मार्च, 1969, पृष्ठ 20
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy