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________________ वनस्पति में संवेदनशीलता प्राणीमात्र का प्राणाधार : वनस्पति मानव, पशु, पक्षी, कीट, पतंगे आदि सभी प्राणियों का जीवन, आहार व श्वासोच्छ्वास पर निर्भर करता है। सभी को आहार वनस्पति से ही मिलता है। सभी वनस्पति से ही जीते हैं। यदि वनस्पति न हो तो सभी प्राणी मर जायेंगे। प्राणियों के लिए आहार से भी अधिक आवश्यक हैप्राणवायु ऑक्सीजन। ऑक्सीजन के अभाव में श्वास लेना कठिन हो जाता है, जिससे प्राणी अल्पकाल में मर जाता है । हमारे श्वास छोड़ने से कार्बन-डाइ-ऑक्साइड बाहर निकलती है, वह विषैली होती है। मानव निर्मित इंजनों, यन्त्रों से अनेक प्रकार की विषैली गैसें निरंतर निकलती रहती हैं जिससे वायुमण्डल दूषित होता रहता है और इसका शोधन वनस्पति से होता है। वनस्पति इन विषैली गैसों को श्वास के साथ ग्रहण करती है और इनके स्थान पर ऑक्सीजन गैस छोड़ती है । यही प्राणवायु प्राणीमात्र का प्राण है। इस प्रकार वनस्पति का हमारे प्राणों के साथ घनिष्ठ संबंध है और यदि यह कहा जाय कि " वनस्पति ही हमारा प्राण है” तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । 145 आज वनों की कटाई से वे वनस्पति विहीन होते जा रहे हैं। जिसके फलस्वरूप वायु की शद्धि तो प्रभावित हो ही रही है और अशुद्धि भी बढ़ रही है और साथ ही साथ वर्षा पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है और वर्षा में भारी कमी आयी है, जिससे अकाल पड़ने लगे हैं। अकाल या सूखे के कारण प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो रहा है। सफलता, सरसता, फल-फूल और अन्न-जल का अभाव हो रहा है। यहाँ तक कि पीने का पानी मिलना कठिन होता जा रहा है, जिससे जीवन दूभर होता जा रहा है। इस प्रकार वनस्पति - विनाश मानव - जगत् का विनाश बनता जा रहा
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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