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________________ 129 वनस्पति में संवेदनशीलता नई पत्तियाँ बन जाती हैं। मेहनत कर पौधे पत्ती पैदा करने वाली कली में सब सामग्री जमा करके रखते हैं जिससे उचित ऋतु आने पर नयी पत्तियाँ बन सकें। ___ जैसे कुछ मनुष्यों में अपने अथवा अपनी संतान के भविष्य की सुरक्षा के लिए धन-संग्रह करने रूप लोभ-भावना होती है, उसी प्रकार कुछ वनस्पतियों में अपने या अपनी संतान के भविष्य की सुरक्षा के लिए खाद्यपदार्थ संग्रह करने की लोभ-भावना होती है। परिग्रह-प्रकरण में बताया जा चुका है कि पौधे जड़ों, तनों, कलियों, फूलों, बीजों, आदि में खाद्य-सामग्री संग्रह करते हैं। वनस्पति की यह संग्रहवृत्ति का एक रूप बचत करना भी है। पौधे भी बचत करना खूब जानते हैं। जंगली गाजर, शलजम और चुकंदर की जड़ें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं और कुछ एक पौधों में तो यह जड़ प्रति साल मोटी होती जाती है, क्योंकि अपनी आमदनी में से कुछ न कुछ बचाकर ये पौधे अपनी जड़ में जमा कर लेते हैं। जिस प्रकार कुछ व्यक्ति अपनी बचत को सुरक्षित रखने के लिए जमीन में गाड़ देते हैं, इसी प्रकार पौधे भी जो कुछ बचाते हैं वह जमीन के नीचे कंद के रूप में जमा कर देते हैं। आलू, शकरकंद आदि ऐसे ही चतुर पौधे हैं। सबसे बड़े मजे की बात यह है कि संसार भर में अच्छी नस्ल के सभी पौधे इसी प्रकार अपनी भोज्य सामग्री अगली फसल या नवीन पौधे के लिए चतुराई से जमीन के अंदर सुरक्षित रखते हैं। जिस प्रकार मनुष्य की लोभ या संचय वृत्ति का एक कारण यह भी है कि भविष्य में विवाह, बीमारी, मौसर आदि अवसरों पर जरूरत पड़ने के समय खुलकर खर्च कर सकें, कुछ पौधों में भी यही बात लागू 1. नवनीत, जुलाई 1967, पृष्ठ 52
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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