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________________ 118 जीव- अजीव तत्त्व एवं द्रव्य और वेस्ट इण्डीज में एक ऐसा वृक्ष पाया जाता है, जिसमें से बड़ी अद्भुत प्रकार की राग-रागनियाँ निकलती रहती हैं और रात में इन्हीं वृक्षों में ऐसा रोना-धोना आरंभ होता है कि कभी-कभी यात्री यह समझ बैठता है कि निकट ही कहीं कोई ऐसा परिवार है, जिसमें कोई मर गया है और सब बैठे रो रहे हैं, सिसक रहे हैं। ' क्रोध का एक रूप 'रोष' है। जिस प्रकार बर्र आदि मक्खियों के छत्ते के पास कोई व्यक्ति पहुँच जाय तो ये मक्खियाँ रुष्ट होकर उस व्यक्ति को डंक मारने लगती हैं। इनके डंक मारने से तीव्र पीड़ा होती है जो तीन-चार दिन तक चलती रहती है। इसी प्रकार क्वींस और न्यू साउथ वेल्स में एक ऐसा वृक्ष पाया जाता है जो अपने पास आने वाले व्यक्ति को डंक मारता है। इसे 'टच मी नाट' या 'डंक मारने वाला वृक्ष' कहा जाता है। इन वृक्षों पर इनके आकार-प्रकार के अनुसार बड़े नुकीले और तेज धार वाले काँटे होते हैं। इसके अलावा इस वृक्ष की 12 इंच लम्बी, खूब घनी और पान के आकार की चौड़ी पत्तियाँ होती हैं। इन पत्तियों पर लम्बे बाल के समान रोये होते हैं। अगर कोई व्यक्ति इनके पास पहुँच जाये, तो ये पत्तियाँ उस व्यक्ति से चिपक जाती हैं और डंक मारने लगती है । इनके डंक मारने से बड़ी मर्मांतक पीड़ा होती है। यदि तुरंत कोई दवा न दी जावे तो यह पीड़ा लगातार चार दिनों तक चलती है। 2 कलह-संघर्ष भी क्रोध या कोप का ही एक रूप है। वनस्पतियाँ भी अपनी रक्षा व स्वार्थ हेतु संघर्ष करती हैं। यथा-"सभी पौधे अपनी 1. नवनीत, जून 1969, पृष्ठ 87 2. नवनीत, जुलाई 1962, पृष्ठ 70
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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