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________________ वनस्पति में संवेदनशीलता 103 ये जिन वृक्षों पर उगती हैं उनमें अपनी पतली जड़े घुसा देती हैं और उनका शोषण कर अपना भोजन बनाती हैं। अमरबेल ऐसी ही पूर्ण-पराश्रयी वनस्पति है। अर्द्ध-पराश्रयी वनस्पतियाँ वे हैं जो उगती तो दूसरे वृक्षों पर हैं परंतु ये कुछ भोजन तो अपनी पत्तियों द्वारा हवा में से लेती हैं और कुछ भोजन उन वृक्षों से लेती हैं जिन पर ये उगती हैं। चंदन, विसकम, बादा लोरेनथस, मिसटेलेटस आदि अर्ध-पराश्रयी वनस्पतियाँ हैं। यह तो हुआ वनस्पति द्वारा किया जाने वाला एकेन्द्रिय-आहार का रूप। इसके अतिरिक्त वनस्पतियाँ द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जीवों का आहार भी करती हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वनस्पतियाँ हलते-चलते जीव-जन्तुओं, कीट-पतंगों, पशु-पक्षियों व मानवों का आहार भी करती हैं। वनस्पति-विज्ञान में ऐसी वनस्पतियों को माँसाहारी वनस्पतियाँ कहा गया है। इनके विस्तृत वर्णन से वनस्पति-शास्त्र भरे पड़े हैं। ___ माँसाहारी-वनस्पतियाँ-इनके सर्वाधिक जंगल आस्ट्रेलिया में हैं। इन जंगलों को पार करते हुए मनुष्य इन विचित्र वृक्षों को देखने के लिए जैसे ही इनके पास जाते हैं, इन वृक्षों की डालियाँ और जटाएँ इन्हें अपनी लपेट में जकड़ लेती हैं जिनसे छुटकारा पाना सहज कार्य नहीं है। फलतः मनुष्य रोता, चिल्लाता, पुकारता है और अंत में दम तोड़ देता है। तस्मानिया के पश्चिमी वनों में 'हीरिजिंटल स्क्रब' नामक वृक्ष होता है। यह आगन्तुक पशु-पक्षी व मनुष्य को अपने क्रूर पंजों का शिकार बना लेता है। यहाँ तक कि यदि कोई घुड़सवार भी इसके पास से गुजरे तो यह उसे भी अपना आहार बना लेता है। कीटभक्षी-पौधे-ये पौधे कीड़े-मकोड़े पकड़ कर खाते हैं। युटीकुलेरियड 1. नवनीत, जुलाई 1966
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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