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________________ वनस्पति में संवेदनशीलता 85 अर्थात् जिस वनस्पति के मूल, स्कंध, शाखा, पत्ता, पुष्प व फल में से किसी को तोड़कर टुकड़ा करने से चक्राकार-गोलाकार समविभाग दिखाई दे, वह अनंत जीवधारी साधारण वनस्पतिकाय है। इसके अवक, पणक, शैवाल आदि अनेक प्रकार हैं। बादर वनस्पतिकाय भी सम्पूर्ण लोक से उत्पन्न होती है। उपर्युक्त आगम-कथन से यह स्पष्ट है कि वनस्पति सम्पूर्ण विश्व के लोकाकाश में विद्यमान हैं। साधारण वनस्पतिकाय जीव अत्यन्त सूक्ष्म व गोलाकार हैं तथा शैवाल, पणक, किण्व, अवक, कुहण आदि भी वनस्पतिकाय जीव हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले अमरीका की एक विशाल संगोष्ठी में विख्यात औद्योगिक प्रतिष्ठान 'इलेक्ट्रो आप्टिकल सिस्टम' के डॉ. फ्रेड एम जॉन्सन ने एक मौलिक शोध प्रबन्ध में पढ़ा- "दूर अंतरिक्ष में फैले धुलिकणों की बाबत यह आम धारणा है कि वे मैफाइट अथवा बर्फ के बने हैं, अब बहुत सही नहीं मालूम देती । स्पेक्ट्रम परीक्षण के आधार पर मेरी राय है कि ये कण क्लोरोफिल से बने हैं। सभी पेड़ पौधों का वह पदार्थ, जो उन्हें हरा रंग प्रदान करता है, क्लोरोफिल ही है । " - सूक्ष्म वनस्पतिकाय के विषय में आगमों में आया है कि उस पर किसी पदार्थ का मरण, छेदन - भेदन, शीत-ताप रूप प्रभाव नहीं पड़ता है, इसी सिद्धांत का समर्थक उद्धरण पठनीय है " अमरीका की अंतरिक्ष प्रयोगशालाओं द्वारा किये गये प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ है कि प्लैवोवेक्टिन जीवाणु अति सूक्ष्म व अद्भुत प्राणी हैं। क्योंकि इनमें न जन्म है, न मृत्यु है, न विकास है, न नाश। इन्हें जीवित 1. नवनीत, अगस्त 1967, पृष्ठ 21 -
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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