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________________ 56] हिन्दी पद्यानुवाद संयत विरत और पापों का, निषेध या प्रतिघात किया । भिक्षु भिक्षुणी एकाकी, अथवा परिषद् में भाग लिया ।। हो काल दिवस या रजनी का, जागृत या निद्रावस्था का । ऐसे ही सेवा पठन हेतु, श्रम खिन्न भाव से रहने का ।। चँवर पंखे तालवृन्त, या पत्ते या बहुपत्तों से । तरुवर डाली या शाखिखण्ड से, तथा मयूर की पाँखों से ।। पाँख समूहों से अथवा, अम्बर के झीने पल्ले से । हाथ और मुख के द्वारा, ऐसे ही पुट्टे आदिक से ।। अपने तन को या बाहर के, अशनादिक ठण्डे करने को । फूँक न मारे चँवर आदि से, हवा करे ना औरों को ।। फूँक न मरवावे औरों से, तथा हवा ना करवावे | फूँक हवा करने वाले को, भला नहीं मन से माने ।। तीन करण और तीन योग से, मन और वचन या काया से । करूँ न करवाऊँ जीवन भर, भला नहीं मानूँ मन से ।। होता उससे दूर तथा, आत्मा से निन्दा करता हूँ । गर्हा करता हूँ पूज्य प्रभो ! मन से मैं हिंसा तजता हूँ ।। अन्वयार्थ से भिक्खुवा जागरमाणे वा । [दशवैकालिक सूत्र वह साधु अथवा साध्वी जो संयत विरत, पाप कर्म का हनन करने वाले तथा भविष्यकाल में पाप के त्यागी हैं, दिन में या रात में, एकाकी अथवा सभा में, सोये या जाग्रत दशा में = I से सिएण वा = वह चामर (चँवर) से । विहुयणेण वा = वृक्ष की शाखा, शाखा के टुकड़ों, छाल आदि से बने पंखे से । तालियंटेण वा = ताड़पत्र के पंखे से । पत्तेण वा = पत्ते से । पत्तभंगेण वा = पत्तों के समूह से । साहाए वा = वृक्ष की छोटी शाखा से । साहाभंगेण वा = शाखा के टुकड़ों से । पिहुणेण वा मोर पंख से । पिहुण हत्थेण वा = मोर पिच्छी से । चेलेण वा = वस्त्र से । चेलकन्नेण वा = वस्त्र के छोर से । हत्थेण वा = हाथ से । मुहेण वा = मुँह से। अप्पणो वा = अपने । कायं = शरीर को । बाहिरं वावि पुग्गलं = बाहरी पुद्गल अथवा बाहर के किसी पुद्गल को । न फुमिज्जा = फूँक नहीं दे । न वीएज्जा = : बींजणे से हवा न करे । अन्नं = दूसरे से । न फुमाविज्जा = फूँक नहीं दिलावे । न वीआविज्जा बींजणे से हवा न करावे । फूमंत वा = फूँक देने वाले अथवा । वीअंतं वा = बीजणा करने वाले । अन्नं = = = दूसरे को । न समणुजाणिज्जा = भला भी नहीं समझे । जावज्जीवाए = जीवन पर्यन्त ।
SR No.034360
Book TitleDash Vaikalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size3 MB
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