SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [93 पाँचवाँ अध्ययन] एवं उदउल्ले ससिणिद्धे, ससरक्खे, मट्टिया ऊसे। हरियाले हिंगुलए, मणोसिला अंजणे लोणे ।।33।। हिन्दी पद्यानुवाद ऐसे गिरते जल बिन्दु युक्त, थोड़ा गीला या रज सचित्त । मिट्टी हरताल क्षार मिट्टी, हिंगुलु और मैणसिल अंजन ।। अन्वयार्थ-एवं = ऐसे ही। उदउल्ले = सचित्त जल से गीले हाथों से । ससिणिद्धे = गीली रेखा वाले हाथों से । ससरक्खे = सचित्त रज से भरे । मट्टिया = सचित्त मिट्टी। ऊसे (उसे) = खार । हरियाले = हरताल। हिंगुलुए (हिंगुलए) = हिंगलू । मणोसिला = मैणसिल। अंजणे = अंजन । लोणे = सचित्त नमक। भावार्थ-ऐसे पुर: कर्म के समान, सचित्त जल से गीले हाथ, गीली रेखा वाले हाथ, सचित्त रज से भरे हुए, सचित्त मिट्टी, ओस (क्षार), हरताल, हिंगुलु, मैणसिल, अंजन और कच्चे नमक से भरे (हाथों से भिक्षा दे तो उसे भिक्षु न ले)। गेरुय-वण्णिय-सेढिय, सोरट्ठिय-पिट्ठ कुक्कुस-कए य । उक्किट्ठमसंसट्टे, संसढे चेव बोद्धव्वे ।।34।। हिन्दी पद्यानुवाद लवण सचित्त मिट्टी पीली, गेरू खड़िया गोपी चन्दन । तत्काल पिसा आटा कुक्कुस, तुष भुस संपुत कूटा तत्क्षण ।। फल के काटे टुकड़ों से, हो हाथ तथा पात्रादि सने । या लिप्त अलिप्त बनाया हो, फिर भी उससे भिक्षा ना लें।। अन्वयार्थ-गेरुय (गेरूय) = गेरू । वण्णिय = पीली मिट्टी । सेढिय (सेडिय) = सफेद खड़िया मिट्टी। सोरट्ठिय = फिटकरी। पिट्ठ = तत्काल का पिसा हुआ शालि का आटा। कुक्कुस कए य = तत्काल के कूटे हुए धान, कुक्कुस और । उक्किळं = फलों के टुकड़े। चेव = और इनसे । संसट्टे = हाथ भरे हुये । असंसट्टे = या बिना भरे । बोद्धव्वे = समझ लेना चाहिये। भावार्थ-गेरू, पीली मिट्टी, सफेद खड़िया मिट्टी, फिटकरी, तत्काल का पिसा हुआ शालि आदि का आटा, ऊखल में कूटे हुए छिलके कुक्कुस, फलों के टुकड़े, इनसे हाथ आदि बिना भरे या भरे हुए से भिक्षा नहीं ले, ऐसा समझ लेना चाहिये।
SR No.034360
Book TitleDash Vaikalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy