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________________ {IV} स्वाध्याय कर सके। वर्तमान में इस पुस्तक में आठ वर्गों को मूल, संस्कृत छाया, अन्वयार्थ, भावार्थ के साथ विशेष विवेचन सहित प्रस्तुत किया गया है। साथ ही पविशिष्टि में सुक्तियाँ, विशिष्ट तथ्य, संदर्भ सामळी, साधकों की साधना आदि के चार्ट, प्रश्नोत्तर, भजन व प्रत्याख्यान का समावेश किया गया है। जो सूजਰਿ, ਕਿ ਰਿਜੋਂ ਕੋ ਮਿੰਟ ਠੇ, ਸੋਧ ਕੇ ਬਿੰਧੀ ਝੋ। आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्र जी म.सा. के अमृतमय एवं हृदयस्पर्श प्रवचन प्रायः अंतगड़देसाज सूत्र पर केन्द्रित रहते हैं। आप इस आगम को प्रत्येक व्यक्ति के लिए पठनीय मानते हैं। इस आगम के सूत्रों का उपयोग आपके वचनों में होने के साथ ही इसके साधना सूत्रों का प्रायोगिक रूप भी आपके जीवन में जीवन्त दृष्टिगोचर होता है। पूर्व में आचार्य भगवन्त श्री हस्तीमलजी म.सा. के निर्देशन में इस सूत्र का सम्पादन कार्य श्री गजसिंहजी राठौड़, श्री चाँदमलजी कर्णावटे एवं श्री प्रेमराजजी बोगावत द्वारा किया गया। वर्तमान में इस पुस्तक का पुनरीक्षण संशोधन एवं सम्पादन का कार्य व्यसन मुक्ति के प्रबल प्रेरक, आचार्य भगवन्त श्री 1008 श्री हीराचन्द्रेजी म.सा. के मार्गदर्शन व दिशा-निर्देशन में आध्यात्मिक शिक्षा समिति के विद्वान् प्रशिक्षक श्री प्रकाशचन्देजी जैन, जयपुर (प्राचार्य) द्वारा किया गया। अंतगड़देसाज सूत्र का तृतीय संस्करण 2005 में प्रकाशित हुआ था। संशोधित एवं परिमार्जित चतुर्थ संस्करण 2016 में प्रकाशित किया जा वहा है। पुस्तक के प्रूफ संशोधन एवं आवरण सज्जा में आध्यात्मिक शिक्षा समिति में सेवारत श्री राकेशजी जैन, जयपुर का सहयोग प्राप्त हुआ लेज़र टाईप सेटिंग में श्री प्रहलाद नारायणजी लखेवा का सहयोग प्राप्त हुआ। एतदर्थ मण्डल परिवार आप सभी के प्रति आभार प्रकट करता है। पाठकों से निवेदन है कि वे जीवन-उन्नायक भगववाणी रूप अंतगड़देसाज सूत्र का स्वाध्याय को अपने जीवन को सार्थक बनायें। :: निवेदक :: पारसचन्द हीरावत अध्यक्ष प्रमोदचन्द महनोत पदमचन्द कोठारी कार्याध्यक्ष कार्याध्यक्ष सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल विनयचन्द डागा मन्त्री
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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