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________________ भजन ] मात तात और भ्रात साथ सब, होकर अधिक उदास । जब प्रेम की फाँस जगत में, आये प्रभु के पास जी....... ।। 4 ।। हाथ जोड़ने जोड़ने कहे देवकी, सुनो नेम भगवान । लीजे जिगर की कोर हमारी यह नन्दन गुणवान जी...... 115 11 " भूख-प्यास नींद सुख दुःख की खबर प्रभु जी लीजो। गुरु आज्ञा से रहिजो लाल जी, शिवपुर वासो कीजो जी.... 116 11 रोती- रोती माता बोली, मुझे रुलाई दूजी मता मत रुलाई जो, सफल करो तुम काया जी........ देकर शिक्षा देवकी माता, गई अपने घर द्वार | गुरु प्रसादे 'चौथमल' कहे, धन्य-धन्य गजसुकुमार जी.... 118 ।। चार महाव्रत आदर लीना, लीना संयम धार । नेमिनाथ ये अरज गुंजारे, बन वैराग्य में लाल जी... 119 ।। भगवान नेमिनाथ का उत्तर (तर्ज- साता कीजो जी.) प्रभु फरमावे रे - 2, श्री कृष्णचन्द्र का भरम मिटावे रे।।टेर ।। द्वारामती को वासी राजा है अवगुण को दरियो रे। नीच - नीच से नहीं करे कृत्य, जैसो करियो रे...... 111 || । उसे जानजे अरि हमारा, ऐसी प्रभु प्रकाशी रे । "चौथमल" कहे किये कर्म का, झट फल पासी रे.... 113 ।। जाया । 117 11 अर्जुन माली की क्षमा (तर्ज- एवन्ता मुनिवर....... ) यहाँ से तू घर जासी केशव, मारग में मिल जासी रे। देख तुझे नीचे गिर जासी, वहीं मर जासी रे... ।। 2 ।। 271) धन्य अर्जुन मुनिवर, दीक्षा लेई ने चाल्या गोचरी ।। टेर ।। पूछा वीर से कहो करूँ क्या, देओ राय बताय । जिम सुख होवे, तिम करो सरे, यो वीर दियो फरमाय ।। 1 ।। तहत् उच्चारी वन्दन कीनी मन में सोचे जाय । बेले बेले करूँ तपस्या, देऊँ कर्म खपाय 12 ||
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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