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________________ अष्टम वर्ग - अष्टम अध्ययन ] 213} प्रतिमा अंगीकार करके विचरण करने लगी।, तं जहा = वह (भद्रोत्तर प्रतिमा) इस प्रकार है, दुवालसमं करेइ, करित्ता = पाँच उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउद्दसमं करेइ, करित्ता = छ: उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, सोलसमं करेइ, करित्ता = सात उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, अट्ठारसमं करेइ, करित्ता = आठ उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बीसइमं करेइ, करित्ता = नौ उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, पढमा लया = यह प्रथम लता हई।।1।। भावार्थ-इसी प्रकार आठवाँ रामकृष्णा देवी का अध्ययन भी समझना चाहिये । विशेष में यह भी श्रेणिक राजा की रानी और राजा कोणिक की छोटी माता थी। इसने भी दीक्षा ली और आर्या चन्दनबाला की आज्ञा प्राप्त कर रामकृष्णा ‘भद्रोत्तर प्रतिमा' तप अंगीकार करके विचरने लगीं। इसकी विधि इस प्रकार हैपाँच किया और सर्वकामगुण पारणा किया, छह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, सात किये और सर्वकामगुण पारणा किया, आठ किये और सर्वकामगुण पारणा किया, नव किये और सर्वकामगुण पारणा किया यह प्रथम लता हुई।।1।। सूत्र 2 मूल- सोलसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता अट्ठारसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता बीसइमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता दुवालसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता चउद्दसमं करेइ, करित्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता बीया लया।।2।। संस्कृत छाया- षोडशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा अष्टादशं करोति, कृत्वा सर्वकामगु णितं पारयति, पारयित्वा विंशतितमं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा द्वादशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा चतुर्दशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा (एवं) द्वितीया लता।।2।। अन्वयार्थ-सोलसमं करेइ, करित्ता = सात उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, अट्ठारसमं करेइ, करित्ता = आठ उपवास किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बीसइमं करेइ, करित्ता = नौ
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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