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________________ अष्टम वर्ग - सप्तम अध्ययन ] 211} संस्कृत छाया- द्वादशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा चतुर्दशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा षोडशं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा चतुर्थं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा षष्ठं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा अष्टमं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा दशमं करोति, कृत्वा सर्वकामगुणितं पारयति, पारयित्वा सप्तमी लता ।।7।। अन्वयार्थ-दुवालसमं करेइ, करित्ता = पाँच किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउद्दसमं करेइ, करित्ता = छ: किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, सोलसमं करेइ, करित्ता = सात किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ, करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, छटुं करेइ, करित्ता = बेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, अट्ठमं करेइ, करित्ता = तेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, दसमं करेइ, करित्ता = चौला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, पारित्ता सप्तमी लया = इस प्रकार सातवीं लतापूर्ण की।।7।। भावार्थ-पाँच किये और सर्वकामगुण पारणा किया, छह का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, सात किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, बेले का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया चोला किया और सर्वकामगुण पारणा किया यह सातवीं लता हुई।।7।। सूत्र 8 मूल- एक्काए कालो अट्ठमासा पंच य दिवसा । चउण्हं दो वासा अट्ठमासा बीसं दिवसा। सेसं तहेव जाव सिद्धा।।8।। संस्कृत छाया- एकैकस्याः कालः अष्टमासा: पंच च दिवसा: चतसृणां कालः द्वौ वर्षों अष्ट मासा: विंशति दिवसाः । शेषं तथैव यावत् सिद्धा।।8।। अन्वयार्थ-एक्काए कालो अट्टमासा पंच य दिवसा = इस प्रकार सात लता की परिपाटी का काल आठ महीने और पाँच दिन हुआ। चउण्हं दो वासा अट्ठमासा बीसं दिवसा = चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष आठ महीने और बीस दिन हुआ। सेसं तहेव जाव सिद्धा = शेष सूत्रानुसार । पूर्ण आराधना करके अन्त में संलेखना करके यह भी सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गई।
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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