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________________ पंचम वर्ग - 2-8 अध्ययन ] 113} कण्हे णिग्गए, गोरी जहा पउमावई तहा णिग्गया = श्री कृष्ण वन्दन को गये, पद्मावती की तरह गौरी भी वन्दन करने गई । धम्मकहा, परिसा पडिगया = भगवान ने धर्म कथा फरमाई। सभाजन लौट गये, कण्हे वि पडिगए = कृष्ण भी वापस आ गये। तए णं सा गोरी जहा पउमावई = तब गौरी पद्मावती की तरह तहा णिक्खंता जाव सिद्धा = दीक्षित हुई, यावत् सिद्ध हो गई। एवं गंधारी, लक्खणा, सुसीमा, = इसी तरह गांधारी, लक्ष्मणा, सुसीमा, जम्बवई, सच्चभामा, रुप्पिणी, = जाम्बवती, सत्यभामा, रुक्मिणी, अट्ठवि पउमावई सरिसयाओ अट्ट अज्झयणा = (ये) आठों अध्ययन पद्मावती के समान समझना।।1।। भावार्थ-आर्य जम्बू-“हे भगवन् ! श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने प्रथम अध्ययन के जो भाव कहे, वे आपके मुखारविन्द से मैंने सुने । अब दूसरे एवं उससे आगे के अध्ययनों में क्या भाव कहे हैं ? कृपा करके कहिये।" श्री सुधर्मा स्वामी- “हे जम्बू ! उस काल उस समय में द्वारिका नगरी थी। उसके समीप एक रैवतक नाम का पर्वत था । उस पर्वत पर नन्दन वन नामक एक मनोहारी एवं विशाल उद्यान था । उस द्वारिका नगरी में श्रीकृष्ण वासुदेव राज्य करते थे। उन कृष्ण वासुदेव की 'गौरी' नाम की महारानी थी जो वर्णन करने योग्य थी। एक समय उस नन्दन वन उद्यान में भगवान अरिष्टनेमि पधारे । कृष्ण वासुदेव भगवान के दर्शन करने के लिए गये । जन-परिषद् भी गई। 'गौरी' रानी भी ‘पद्मावती' रानी के समान प्रभु-दर्शन के लिए गई। भगवान ने धर्म-कथा-धर्मोपदेश दिया। धर्मोपदेश सुनकर जन परिषद् अपने अपने घर गई । कृष्ण वासुदेव भी अपने राज भवन में लौट गये। तत्पश्चात् 'गौरी' देवी पद्मावती रानी की तरह दीक्षित हुई यावत् सिद्ध हो गई। इसी तरह बाकी 3. गांधारी, 4. लक्ष्मणा, 5. सुसीमा, 6. जाम्बवती, 7. सत्यभामा, 8. रुक्मिणी के भी छ अध्ययन ‘पद्मावती' के समान समझने चाहिये। इन आठों महारानियों का वर्णन इनके अध्ययनों में समान रूप से जानना चाहिये । ये सभी एक समान प्रवजित होकर सिद्ध बुद्ध और मुक्त हुईं। ये सभी श्री कृष्ण वासुदेव की पटरानियाँ थीं। ।। इइ2-8 अज्झयणाणि-2-8 अध्ययन समाप्त।।
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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