SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-4] 169} नहीं आता, इसलिए उसे पहले जल आदि के द्वारा स्वच्छ किया जाता है। 4. तत्पश्चात् काँटे को बाहर निकाला जाता है। 5. उस काँटे को निकालने पर भी कुछ मवाद-गंदा खून आदि रह जाता है तो उसे भी दबाकर बाहर निकाल दिया जाता है। यही हेतु आध्यात्मिक क्षेत्र में भी घटित होता है-सर्वप्रथम साधक के अन्तर में आत्मा को ऊपर उठाने के भाव जगते हैं-'तस्स उत्तरीकरणेणं' जब वह आत्मा को देखता है तो दोषों का दलदल नजर आता है। उस दलदल का कारण उसी के कषाय एवं अशुभ योग हैं। अतः उसके प्रायश्चित्त के भाव जगते हैं। 'पायच्छित्तकरणेणं' प्रायश्चित्त करने से पुराना दलदल तो कम हुआ, पर झाडू के बाद पोचे (पानी की धुलाई) से अधिक स्वच्छता आ जाती है, इसी कारण से कहा-'विसोहिकरणेणं।' जब कपड़ा धुलकर स्वच्छ हो जाता है तब उसमें कई दाग दिखते हैं, साधक को भी गहराई से अवलोकन करने पर शल्य दिखाई देते हैं- वही विसल्लीकरणेणं। अब तो शीघ्रातिशीघ्र इन धब्बों की भी शुद्धि अर्थात् शल्यों का निराकरण । कपड़े को धो लेने पर प्रेस द्वारा उसमें और चमक आ जाती है, वैसे ही साधक लेशमात्र रह गये पाप-कर्मों की शुद्धि के लिए तत्पर होता है। ‘पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए' अतः परस्पर सूक्ष्मता की दृष्टि से ही इनका यह क्रम रखा गया है। प्रश्न 42. कायोत्सर्ग के कितने आगार हैं? उत्तर कायोत्सर्ग के 1. ऊससिएणं, 2. नीससिएणं, 3. खासिएणं, 4. छीएणं, 5. जंभाइएणं, 6. उड्डएणं, 7. वायनिसग्गेणं, 8. भमलीए, 9. पित्तमुच्छाए, 10. सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, 11. सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं और 12. सुहुमेहिं दिट्ठि-संचालेहिं, ये 12 आगार हैं। प्रश्न 43. 'तस्सउत्तरी' पाठ में 'अभग्गो-अविराहिओ' का क्या अर्थ है ? उत्तर तस्स उत्तरी पाठ में अभग्गो' का अर्थ है-काउस्सग्ग खण्डित नहीं होना और अविराहिओ का अर्थ है-काउस्सग्ग भंग नहीं होना । काउस्सग्ग में सर्व विराधना न होना अभग्गो' तथा आंशिक विराधना न होना ‘अविराहिओ' कहलाता है। प्रश्न 44. 'लोगस्स' पाठ क्या प्रयोजन है ? ‘लोगस्स' पाठ में भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक चौबीस तीर्थङ्करों की स्तुति की गई है । ये हमारे इष्टदेव हैं। इन्होंने अहिंसा और सत्य का मार्ग बताया है। इनकी भाव पूर्वक स्तुति करने से जीवन पवित्र और दिव्य बनता है। प्रश्न 45. 'लोगस्स' पाठ का दूसरा नाम क्या है ? उत्तर लोगस्स' पाठ का दूसरा नाम ‘उत्कीर्तन सूत्र' और 'चतुर्विंशतिस्तव' है। उत्तर
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy