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________________ 153} परिशिष्ट-3] परिशिष्ट-3 आवश्यक सम्बन्धी विचारणा (1) आवश्यक के शब्दार्थ-(अ) अवश्यकरणाद् आवश्यकम् अर्थात् जो अवश्य किया जाय वह आवश्यक है। साधु और श्रावक दोनों ही नित्य प्रति अर्थात् प्रतिदिन क्रमश: दिन और रात्रि के अन्त में सामायिकादि की साधना करते हैं, अत: वह साधना आवश्यक पद वाली है । अनुयोग द्वार सूत्र में भी कहा है 'समणेण सावएण य, अवस्स कायव्वयं हवइ जम्हा । अंतो अहो णिसस्स य, तम्हा आवस्सयं नाम ।।' (आ) आपाश्रयो वा इदं गुणानाम्-प्राकृत शैल्या आवस्सयं-प्राकृत भाषा में आधार वाचक उपाश्रय शब्द भी ‘आवस्सय' कहलाता है, जो गुणों की आधार भूमि हो, वह आवस्सय आ-पाश्रय है। आवश्यक आध्यात्मिक समता, नम्रता, आत्मनिरीक्षण आदि सद्गुणों का आधार है, अत: वह उपाश्रय भी कहलाता है। (इ) गुणानाम् वश्यमात्मानं करोतीति-जो आत्मा को दुर्गुणों से हटाकर गुणों के अधीन करे, वह आवश्यक है अथवा ‘ज्ञानादि गुणानाम् आसंमताद् वश्या इन्द्रियकषायादि भावशत्रवो यस्माद् तद् आवश्यकम्।' आचार्य मलयगिरि कहते हैं कि इन्द्रिय और कषाय आदि भाव शत्रु जिस साधना के द्वारा ज्ञानादि गुणों के वश किए जाए अर्थात् पराजित किए जाय, वह आवश्यक है। (ई) ज्ञानादि गुणकदंबक मोक्षो वा आसमंताद् वश्यं क्रियतेऽनेन इत्यावश्यकम् अर्थात् ज्ञानादि गुण समूह व मोक्ष पर जिस साधना के द्वारा अधिकार किया जाय, वह आवश्यक है। (उ) गुण शून्यमात्मानं गुणैरावासयति इति आवासकम् अर्थात् गुणों से शून्य आत्मा को जो गुणों से वासित करे वह आवश्यक है। गुणों से वासित करने का अर्थ गुणों से युक्त करना है। (ऊ) गुणैर्वा आवासकं-अनुरंजकं वस्त्र धूपादिवत् अर्थात् जो आत्मा को ज्ञानादि गुणों से अनुरंजित करे वह आवासक है। जैसे वस्त्र, धूपादि से अनुरंजित किया जाता है। (ए) गुणैर्वा आत्मानं आवासयति-आच्छादयति इति आवासकम् अर्थात् जो ज्ञानादि गुणों के द्वारा आत्मा को आवासित-आच्छादित करे, वह आवासक है। जब आत्मा ज्ञानादि गुणों के द्वारा आच्छादित रहेगा तो दुर्गुण रूप धूल आत्मा पर नहीं पड़ने पाएगी। (2) आवश्यक के पर्यायवाची शब्द-एक पदार्थ के अनेक नाम परस्पर पर्यायवाची कहलाते हैं। अनुयोग द्वार सूत्र में आवश्यक के 8 पर्यायवाची शब्द बताए गये हैं
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
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