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________________ [9] नहीं करना कुछ भी, केवल जानना है सहजता का मतलब ही अप्रयास दशा प्रश्नकर्ता : वह चरणविधि में बोलते हैं न, 'मन-वचन-काया की आपके जैसी सहजता मुझे प्राप्त हो', तो वह सहजता कैसी? दादाश्री : सहजता अर्थात् मोटी भाषा में कहे तो अप्रयास दशा, कोई भी प्रयास नहीं। आत्मा से भी प्रयास नहीं और देह से भी कोई प्रयास नहीं। मानसिक रूप से भी प्रयास नहीं और बुद्धि से भी प्रयास नहीं। प्रश्नकर्ता : उसके बाद मन-वचन-काया का सुमेल तो रहता है न? दादाश्री : अनायास दशा हो गई। बस, प्रयास नहीं और उसमें से प्रयास करने वाला चला गया। मन-वचन-काया काम करने वाले हैं लेकिन प्रयास करने वाला चला गया। प्रयास करने वाले की गैरहाज़िरी है इसलिए वह सहज दशा और प्रयास करने वाले की हाज़िरी, वह असहज इसलिए उस प्रयास करने वाले के चले जाने से सहज है। फिर जो भी क्रिया हो रही हो उस क्रिया में कोई हर्ज नहीं, प्रयास करने वाले की आपत्ति है। __ प्रश्नकर्ता : अर्थात् उसे यह प्रयास करने की पूर्व की आदत ही पड़ी है। दादाश्री : हाँ। प्रश्नकर्ता : क्या किसी भी प्रक्रिया में सचमुच प्रयास की ज़रूरत ही नहीं है?
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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