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________________ तो जल्दी स्थिर हो जाएगा? पानी को, सभी को पकड़ना पड़ेगा? नहीं! कुछ भी नहीं करने से वह स्थिर हो जाएगा, तो खुद को क्या करना है? देखते रहना है, तो ऑटोमेटिक स्थिर हो ही जाएगा। ___ कुदरत का नियम है, खुद एक ही बार गेंद फेंकता है, उसके पच्चीस गुना, पचास गुना और सौ गुना रिबाउन्स होकर गेंद के टप्पे पड़ते हैं। उसमें खुद उलझन में पड़ जाता है और जैसे ही गेंद को पकड़कर स्थिर करने जाएगा वैसे-वैसे गेंद और अधिक उछलेगी, स्थिर नहीं होगी। तो उसका उपाय क्या है? क्या होता है उसे देखते रहो। गेंद को स्थिर करने का प्रयत्न भी नहीं करना है। तो वह अपने आप थोड़े टप्पे पड़ने के बाद फिर खुद ही स्थिर हो जाएगी। इसी तरह से परम पूज्य दादाश्री की अद्भुत खोज है कि प्रकृति की असहजता का मूल कारण खुद की अज्ञानता है। अज्ञानता से प्रकृति में दखलंदाजी होने से, प्रकृति की असहजता हो गई है। अब इसमें से सहज होने का क्या उपाय है? पहले खुद ज्ञान प्राप्त कर लें तो नए स्पंदन बंद हो जाएँगे। पहले खुद सहजात्मा हो जाएगा। फिर धीरे-धीरे प्रकृति सहज हो जाएगी। दादाश्री ज्ञान के बाद पाँच आज्ञा ऐसी देते हैं कि जिनका पालन करने से प्रकृति में दखल होना बंद हो जाता है और खुद का ज्ञाता-दृष्टा पद शुरू हो जाता है। अंत में खुद के कम्प्लीट ज्ञान में रहने से इस तरफ प्रकृति संपूर्ण रूप से सहज होती जाती है और यदि दोनों सहज हो गए तो पूर्ण दशा की प्राप्ति हो जाएगी। सहजात्म स्वरूप परम गुरु ऐसे कारुण्यमूर्ति परम पूज्य दादा भगवान के श्रीमुख से सहज निकली इस प्रत्यक्ष सरस्वती को यहाँ 'सहजता' ग्रंथ में संकलित किया गया है। प्रस्तुत संकलन में, शुद्धात्मा पद में स्थित होने के बाद अप्रयत्न दशा में रहकर, पुरुषार्थ करके पूर्ण दशा प्राप्त करने तक के सोपानों का वर्णन दादाश्री की ज्ञानवाणी में खुला हुआ है। महात्माओं को तो अंतिम दशा का चित्र समझ लेना है और जीवन के अंतिम ध्येय के रूप में लक्ष (जागृति) में रखना है, कि कभी न कभी ऐसी सहज, अप्रयत्न दशा प्राप्त 11
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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