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________________ त्रिकरण ऐसे होता है सहज ७१ उसके सामने किस तरह से एडजस्टमेन्ट लेना है? उसमें कैसा उपयोग रखना है? दादाश्री : वह तो, जब हम अपमान की आदत डाल देगें तब। प्रश्नकर्ता : प्राप्त करनी है अयाचक दशा जबकि अंदर तो हर एक बात की भीख है। दादाश्री : अयाचकपना तो जाने दो न, लेकिन यदि भीख चली जाए तो भी बहुत हो गया। यह भीख तो, अब यदि हम किसी के कम्पाउन्ड में से होकर जाते हो और वह व्यक्ति गाली देता हो तो रोज़ वहाँ से होकर जाना चाहिए, रोज़ गाली खानी चाहिए लेकिन उपयोगपूर्वक सहन करना चाहिए। वर्ना, उसे आदत पड़ जाएगी, बेशर्म हो जाएगा। प्रश्नकर्ता : उपयोगपूर्वक सहन करना अर्थात् क्या? दादाश्री : अगर कोई आपकी बहन को उठाकर ले गया हो, तो उस उठाने वाले के ऊपर आपको प्रेम आएगा? क्या होगा? प्रश्नकर्ता : द्वेष होगा। दादाश्री : तब वह नींद में रहता है या उपयोगपूर्वक रहता है ? हन्ड्रेड परसेन्ट उपयोगपूर्वक रहता है, एकदम उपयोगपूर्वक रहता है। फिर जब चोरी करने जाता है, तब वहाँ उपयोगपूर्वक जागृति रखता होगा या सोता होगा? प्रश्नकर्ता : उपयोगपूर्वक रहता है। दादाश्री : अतः उपयोग समझ जाओ। यहाँ मोक्षमार्ग में तो उपयोग वाले ही काम आते हैं। जब कोई अपमान करे तब मुँह बिगड़ गया है, यदि ऐसा पता चले तो फायदा-नुकसान नहीं होता। नो लॉस, नो प्रोफिट और यदि बाहर मुँह बिगड़ा तो नुकसान होता है। नुकसान किसे होता है? पुद्गल को, आत्मा को नहीं और यदि बाहर मुँह नहीं बिगड़ा, क्लियर रहा तो उतना आत्मा का आनंद रहा। आत्मा का फायदा होता है न? प्रश्नकर्ता : यदि मुँह बिगाड़ा तो पुद्गल को क्या नुकसान होगा?
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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