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________________ [1.4] खेल कूद सभी लोगों जैसे ही निर्दोष खेल कूद और मस्ती प्रश्नकर्ता: दादा आपके उन शंकर भाई ने हमें तरसाली में वह रूम दिखाया था, जहाँ आपका जन्म हुआ था, तब वे बता रहे थे कि दादा जब छोटे थे, तब यह चारदीवारी कूदकर चले जाते थे | दादाश्री : वह तो बच्चों के साथ मस्ती करते थे I प्रश्नकर्ता : उन्होंने ऐसा बताया था कि वह जो तालाब है न, वहाँ पर जब भैंसें नहाती थीं न, तो भैंसें जब तालाब में बैठी होती थीं न, तैर रही होती थीं न, तो दादा उन पर बैठ जाते थे, भैंस पर बैठकर खेलते थे और इस तरह तालाब में तैरते थे। 1 दादाश्री : ऐसा लगता था जैसे हाथी पर बैठे हों ! गाँव में सभी बच्चे ऐसा करते थे न... प्रश्नकर्ता: हमारे जैसा ही करते थे गाँव में ? दादाश्री : वैसा ही, वैसा ही । एक बार तो जब मैं दस - ग्यारह साल का था, उस समय मामा ने कहा कि 'भाई, तू थक जाएगा' तो मुझे भैंस पर बैठा दिया और मेरे पैर पकड़कर साथ-साथ चले । थे ? वे खुद भाँजे थे इसलिए मानते थे देवता जैसा प्रश्नकर्ता: दादा, क्या आप कभी भैंस लेकर तालाब पर जाते
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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