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________________ 'मेरे लिए तो तू आ गया, तो बस ' 157 ' दर्शन करने जैसा तो सिर्फ तू ही है ' 158 'मेरा भगवान तू है,' पहचान लिया.. 159 तेरी ऐसी बातें मुझे बहुत अच्छी ... 159 बा का मन आहत न हो, इसलिए... 160 तीनों के ही मन के समाधान के... 161 खाने की मात्रा उतनी ही 162 खुश रखकर काम लेना है तटस्थता से निरिक्षण किया बा के... 163 मौलिक खोज दादा की, आज बा ने... 164 अब कुछ ही दिनों के मेहमान हैं.... असह्य दुःख के समय छूटने के लिए.. 165 हस्ताक्षर होने के बाद में ही आती है.. 166 164 162 राजवंशी पुरुष जैसे लगते थे बड़े भाई 180 देखने जैसा वैभव था बड़े भाई का 181 पर्सनालिटी और तेजस्वी आँखों... 182 183 पूर्व जन्म के योगी थे, इसलिए ... भाई ने टोका, 'तुझे घोड़ी पर बैठना 184 गुस्से में फेंक दिए स्टोव और.... 185 बहुत अहंकारी इसलिए पंगत में .. पूर्व जन्म के पुण्य की वजह से.. 187 189 जब मदर अंतिम स्थिति में थीं... 166 मदर का प्रेम और अज्ञान था इसीलिए.. 167 'बच्चों को क्या धाड़ में देना है.. 190 192 राजसी और दयालु, इसलिए लोगों.. 191 मज़दूरों का पक्ष लेकर पुलिस..... नहीं घबराते थे गायकवाड़ के चचेरे.. 193 किसी की भी गुलामी पसंद नहीं थी.. 194 सूबेदार को भी डरा देते थे और घर.. 195 न्यायी हिसाब-किताब नहीं था इसलिए 196 ब्रान्डी की लत से कीमत चली गई... 197 मेरी बैर बाँधने की तैयारी नहीं थी... 198 पीछे से तो सब कहते हैं मेरे सामने.. 198 मारकर आना, बेचारा बनकर मत आना 199 [6] फादर 171 राजसी इंसान और सरल जीवन 169 पिता जी को लगा कि यह लड़का... 169 मुझे तो भगवान ही चाहिए थे मेरी जन्मपत्री बहुत अच्छी थी... फादर बड़े भाई को भी डाँटने नहीं... जिज्ञासा वश फादर से प्रश्न पूछता... 172 पहचानकर दुनिया के स्वभाव को..... फादर को छला, उसके बाद में खूब... 173 हमारी उपस्थिति में फादर का देहांत 174 173 171 171 सभी के फादर अभी तक हैं, मेरे क्यों.. माँ-बाप की सेवा वह प्रत्यक्ष- नकद 177 जीवन भर जो किया अंत में वही .... 177 अंतिम समय में आता है पूरे जीवन... 178 [7] बड़े भाई 57 .176
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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