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________________ अब गलती समझ में आती है,... 100 सीखे गलत गुरुओं से मज़ाक उड़ाना101 अधिक बुद्धि का दुरुपयोग, मज़ाक... 102 जोखिम मज़ाक उड़ाने का... 103 अंतरायी हई बुद्धि, इसलिए 'सलि...104 गए पकौड़े खाने तीन मील दूर 82 हमें भाती थीं जलेबियाँ लेकिन खीर..82 फटी हुई धोती पहनी कला से 83 एक में से बनाए दो पान 84 उड़ा नहीं छींटा कपड़े धोने में 84 जल्दी उठने के लिए की थी कला 85 बचपन से ही देर से नहाने की आदत86 चलते समय धरती हिलती थी 87 अहंकार की वजह से अँगूठा रखे... 87 कमाए पैसे नाटक के कॉन्ट्रैक्ट में 88 पहले लगा था कि सिनेमा से... 89 कलियुग आगे बढ़ रहा है 90 एकांत में बैठने पर अंदर से मिला... 91 जो बिगाड़ने वाले संयोग हैं वही... 91 ये साधन कल्याण के बड़े निमित्त... 92 हरिजनों का तिरस्कार अच्छा नहीं... 93 तिरस्कार से हुआ हिन्दुस्तान दुःखी 94 बचपन में गांधी जी को सुनने गए थे95 पगड़ी की एक लपेट खोली तो... 97 अलग तरह की खोज हमारी 97 गांधी जी ने दिखाया और बदला... 97 वल्लभ भाई ने सर्व प्रकार की... 98 लोह पुरुष ने बाँधी मेंढ़कों की पाँच..99 कुसंग के रास्ते पर चल पड़े दोस्तों...105 सिगरेट से जल उठा, बहुत पछतावा.. 106 ताश के खेल में धोखा खाया, पैसों.. 107 धोखा खाकर मिला है ज्ञान, इसी... 109 दूसरों के खेतों में से चोरी करके... 110 भरे हुए मोह ने करवाई अँगूठी... 111 पड़ी हुई मिली, मैंने कहाँ चोरी की?113 अँगूठी बेचकर पैसे उड़ा दिए 113 ज्ञान से पहले सभी जैसा ही कलि...114 मान के आधार पर यह शोभा नहीं देता114 अगर मिल जाए तो पाँच सौ गुना... 116 हमारी तरफ से प्राप्त हो वह सौंप...116 किसी का भी बाकी न रहे अनेक...117 लेकिन इससे रही पवित्रता चारित्र की117 [5] मदर [5.1] संस्कारी माता [4] नासमझी में गलतियाँ बहुत पुण्यशाली और सुंदर थीं झवेर.. 119 जहाँ हमेशा सदाव्रत रहता था, उस...119 बा का चेहरा देखते ही दु:खी इंसान..120 पार्टनर को बनाया बुद्धू 100 55
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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