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________________ अनुक्रमणिका [1] बचपन [11] परिवार का परिचय संक्षिप्त परिचय ज्ञानी का 1 3 धन्य-धन्य भूमि तरसाली, जन्मे जहाँ.. 2 अवतरित हुए उस धन्य दिवस ये.... वतन, चरोतरी छः गाँव में से भादरण.. 4 मूलत: हम अडालज के 5 7 8 9 'माँ' उच्च जाति की, 'पिता' कुलवान 5 गुण सभी अपने लेकर आया था... 6 दैवीय कुटुंब था, इसलिए नमस्कार.. ऐसा वैभव नहीं था लेकिन थी.... ज्ञानी के जन्म से लाभ होता है... नज़दीकी लोगों को लाभ मिलता है.. 9 कुटुंब में जन्म लेने से नहीं परंतु ... 10 सात पीढ़ियों से किसी को 'साला'... 11 साले के रूप में अपमान होने पर तय.. 11 समझ में आया गलत अहंकार,.... कोई भी लालच नहीं, ऐसी ग़ज़ब ... 13 12 [12] निर्दोष ग्राम्य जीवन 15 माँ अंबा के लाल, ‘अंबालाल’ गलगोटा जैसा शरीर इसलिए कहते.. 15 दस साल तक की उम्र फिर भी रहते.. 17 दिगंबर अर्थात् भान ही नहीं था... 18 उस समय गाँव की सभी लड़कियाँ.. 19 धन्य है उस भद्र विचार वाली प्रजा.. 20 अत्यंत निर्दोषता भरा ग्राम्य जीवन ऐसा देखा ही नहीं था न 53 21 22 [ 1.3 ] बचपन से ही उच्च व्यवहारिक सूझ दिमाग़ चढ़ जाता था 'सात... शायद ही कोई होता है सात ... 25 सात समोलियो इसीलिए नहीं हो... 25 प्रैक्टिकल थे और ध्यान रखते थे... 26 आज के बच्चे हैं सिर्फ पढ़ाई में,... 27 चार साल की उम्र तक का सब... 29 मोही जीव तो भूल जाता है 29 मज़ाक को मान लिया सच 30 [1.4 ] खेल कूद सभी लोगों जैसे ही निर्दोष खेल... वे खुद भाँजे थे इसलिए मानते थे... मकर संक्रांति वास्तव में सूर्य को... चले हैं बचपन से ही लोक... राजा की तरह पटाखे फूटते हुए ... खेला है निर्दोष होली का खेल... 22222222 24 31 31 32 33 34 34 [2] विद्यार्थी जीवन [2.1] पढ़ाई करनी थी भगवान खोजने के लिए 'पढ़कर ही आए हैं' ऐसा सुनते ... 36
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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