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________________ 418 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) करने के लिए शादी करूँ ऐसा? ऊपरीपना स्वीकार नहीं किया और हँढ निकाला कि मेरा तो कोई ऊपरी नहीं है लेकिन आपका भी कोई ऊपरी नहीं है। मैं ऊपरी रहित हुआ और आपको भी ऊपरी रहित कर देता हूँ। ___ मुझे अपने ऊपर कोई चाहिए ही नहीं। हमारे ऊपर फादर-मदर, और अगर कोई गुरु हों तो वे, बाकी कोई ऊपरी नहीं। बिना बात के अपने ऊपर कोई चाहिए ही नहीं। सिर पर कोई हो तो फिर इसे जीवन कैसे कहेंगे? तो क्या लाचारी भरा जीवन जीना है? भगवान रूठ गया है और भगवान ऐसा... इसलिए शुरू से ही तय किया था कि ऊपरी नहीं चाहिए। यदि ऊपरी है तो उसका चेहरा देखते ही हमें चिढ़ मचेगी। भगवान का ऊपरी होना कैसे पुसाएगा, ऐसी परवशता? और फिर कहाँ वापस उन्हें पोलिश करते रहें, मस्का मारते रहें? नहीं पुसाएँगे वे भगवान जो डाँटे भगवान क्या दे देगा कि वह बिना बात मुझे डाँटे? और अगर डाँटे तो वह भगवान भी मेरे काम का नहीं। मैं भगवान से ऐसा कह दूंगा कि 'मेरे साथ सीधे रहना क्योंकि मैं साफ हूँ बिल्कुल प्योर हूँ। छुपछुपकर पैंतरे नहीं रचे हैं। वह तो, कल डाँट भी सकता है हमें, उसके बजाय अपना घर क्या बुरा था? अपने घर के लोग अगर ऊपरी हों तो अच्छा है। मेरे बीबी-बच्चे सब अच्छे हैं। वे कुछ देर के लिए झगड़ते हैं बस इतना ही न? गालियाँ देंगे तो चलेगा, थोड़ा क्लेश कर लेंगे, लेकिन पकौड़ियाँ तो खिलाएंगे या नहीं? भगवान ऊपरी और मोक्ष, ये दोनों विरोधाभासी हैं प्रश्नकर्ता : खुश होंगे तो खिलाएँगे। दादाश्री : वह चाहे कुछ भी हो लेकिन खिलाएँगे तो सही न! दो गालियाँ देगी लेकिन पकौड़े तो खिलाएगी न, तो वह मोक्ष अच्छा है लेकिन ऐसा मोक्ष नहीं चाहिए। जहाँ से कोई उठा दे ऐसा मोक्ष नहीं चाहिए, उसके बजाय पकौड़े खाकर वाइफ के साथ पड़े रहेंगे। अच्छा
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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