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________________ 402 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) निकलता। अब चाचा को छोड़कर मैं जा भी नहीं सकता था! अन्य कोई था भी नहीं। चाचा को मुझे सौंपकर सब सो गए थे इसलिए सचमुच परेशानी में पड़ गया! यह परेशानी आ गई वापस! प्रश्नकर्ता : आप मुसीबत में फँस गए। दादाश्री : तब मेरी हालत तो खराब ही हो जाती न? और फिर मुझे नींद नहीं आई। भय घुसने पर नींद न जाने कहाँ उड़ जाती है ! छोटा बच्चा था इसलिए घबरा गया, फिर नींद आ सकती थी क्या? तो नींद भी नहीं आई मुझे रात भर । तब तो कम उम्र थी फिर भी नींद नहीं आई मुझे, नींद-वींद सब उड़ गई। मैंने यमराज की राह देखी, 'हाँ अभी लेने आएँगे, अभी लेने आएँगे, अभी लेने आएँगे, अभी लेने आएँगे'। मैं ज़रा ज़्यादा जागृत था न, उसी वजह से परेशानी थी! ढेबरे जैसे लोग होते हैं न, वे तो उबासी लेकर सो जाते हैं। मुझे तो पूरी रात नींद नहीं आई। सेन्सिटिव इंसान! क्या हो सकता था अब? तो सुबह पाँच बज गए फिर भी नींद नहीं आई। सुबह चाचा सही सलामत थे, फिर वह बात लगी खोखली __तो मुझे पूरी रात परेशानी रही और चाचा गहरी नींद सो रहे थे, "जिनके लिए मैं चिंता कर रहा हूँ, वे सो गए और मैं जागा'। फिर थककर सुबह कुछ देर बाद सो गया और फिर एकदम झटके से उठा, तब चाचा थे, वहीं के वहीं थे, वैसे के वैसे ही थे। चाचा भी थे और मैं भी था। चाचा वही के वही और मैं भी वही का वही। सुबह तक यमराज नहीं आए और कोई यमराज चाचा को नहीं ले गया। कोई बाप भी नहीं ले गया। सुबह तो चाचा जागे, उठे। वे बैठ गए आराम से! मैंने कहा, 'हाय हाय! यह सब तो गलत है। सब खोखला लग रहा है। मुझे उस यमराज पर भी गुस्सा आ गया। शुरू की जाँच, यमराज की बात सही है या गलत! फिर जब सुबह हुई तो सब आने लगे। छ: बजे सब आए तब
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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