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________________ 400 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) उस बारे में नहीं सुना होता तो कोई परेशानी नहीं होती लेकिन मैंने सुना था तो मेरे मन में ऐसा लगा कि 'यमराज आए होंगे! यह तो कुत्ता रोया!' सुने हुए व श्रद्धा वाले ज्ञान से परेशानी तब मैंने ज्ञान सुना हुआ था। लोगों ने मुझे ज्ञान बताया था। मुझसे क्या कहा था? जब कुत्ता रोता है तब समझना कि यहाँ पर यमराज आए हैं। अरे! कुत्ता रोएगा नहीं क्या बेचारा? लोग कहते हैं, 'जब कुत्ता ओ-ओ करके रोता है न, तब समझना कि यमराज आसपास ही घूम रहे हैं। कुत्ते को पता चलता है। कुत्ते को दिखाई देता है!' अतः मुझे यह ज्ञान मिला था। क्या ज्ञान मिला था कि जब यमराज लेने आते हैं, तब उसके लक्षण क्या होते हैं जिनसे पता चले कि ये आ गए हैं ? तो कहते हैं, 'कुत्ता रोए तो पक्का समझना कि तब यमराज लेने आए हैं'। ज्ञान तो लोग देते ही हैं। अरे, आपने अगर यह ज्ञान नहीं दिया होता तो क्या नुकसान था? ऐसा ज्ञान नहीं दिया होता तो क्या लोगों को कोई परेशानी थी? प्रश्नकर्ता : थोड़ा डर रखने के लिए। दादाश्री : तो मैंने वह ज्ञान सुना तब फिर उस घड़ी मन में कुछ होता है या नहीं? अतः वह ज्ञान हाज़िर हो गया। अब सुना हुआ ज्ञान तो परेशान करता है। यदि नहीं जाना होता तो कोई परेशानी नहीं थी। क्या जाना? प्रश्नकर्ता : कुत्ता रोता है, तब यमराज आते हैं। दादाश्री : यह ज्ञान नहीं जाना होता तो मुझे दुःख ही नहीं होता लेकिन मैं यह तो ज्ञान जानकर आया था, ऐसे अक्ल वालों से। ये अक्ल के बोरे हैं न, इनसे मैंने ज्ञान जाना। सुना हुआ ज्ञान तो असर डाले बिना रहता ही नहीं है न। मैंने ज्ञान सुना, उसमें कोई हर्ज नहीं था, लेकिन सुने हुए ज्ञान पर
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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