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________________ 376 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) पड़ता है!' तो ये लोग इस तरह से चिल्लाकर रोएँ, ऐसे हैं ! सभी तरह के लोग हैं ! उनकी आवाज़ पर से हमें लगता है कि ये बहुत ही रो रहे हैं ! और सामने चेहरा कपड़े से ढक लेते हैं, ये तो बहुत ही पक्के लोग हैं! वे आवाज़ अच्छी निकालते हैं, ऐसा नाटक करते हैं। भोले दिल वाले, इसलिए पहले तो मान लिया सच पहले तो बहुत ही रोना-धोना और बेहिसाब तूफान करते थे। उन दिनों छाती पीटने का बहुत रिवाज था। अगर कोई मर जाए न, तो पच्चीस-पच्चीस स्त्रियाँ आकर छाती पीटती रहती थीं और वे उछलउछलकर कूदती थीं तो वे धबाक, धबाक, धबाक, धबाक, धबाक। उनकी आवाज़ पर से हमें ऐसा लगता था कि ये स्त्रियाँ खुद अपनी छाती तोड़ देंगी। हम तो भोले दिल के इंसान, हमें ऐसा लगा कि ऐसा करके ये स्त्रियाँ मर जाएँगी बेचारी। इससे मुझे तो बहुत ही दुःख होने लगा। मैंने कहा, 'इतना दुःख! इन लोगों को कितना दु:ख हो रहा होगा!' ये इस तरह छाती ढककर पीटती थीं, ऐसे-ऐसे, ऐसे आवाज़ करके। मुझे लगा कि इससे तो छाती टूट जाएगी! और वह आवाज़ बहुत ज़ोर की, ज़ोर की आवाज़ सुनाई देती थी न! अपने विचार कैसे और यह सब कैसा है? इसलिए फिर मैं तो जाँच करने गया। मैंने तो फिर अंदर जो एक-दो अच्छे लोग थे न, उनसे कहा कि 'आप ऐसा सब क्यों कर रहे हो? इनमें से क्या कोई भी वापस आ जाएगा?' बच्चा था फिर भी मन में ऐसा हुआ, तो उन सब को भी होता होगा न? उनके पति मर जाएँ तो नहीं होगा? लौकिक व्यवहार में ढूँढ निकाली नाटकीय बनावट मैं छोटा था न, तब मैं बहुत ही भावुक था। मैं तो, जैसा दिखाई देता था उसी को सच मान लेता था क्योंकि मुझे बुद्धि की कोई बहुत नहीं पड़ी थी। मुझे हार्ट की बहुत पड़ी थी, यानी कि हार्टिली स्वभाव था तो जब ऐसा देखता था तो अंदर कुछ का कुछ हो जाता था। फिर छाती पीटने के बाद में मैंने अंदर जाकर धीरे से एक पंडिताइन से पूछा कि 'आप यों छाती क्यों तोड़ रही हो? इससे तो छाती में रोग हो जाएँगे!
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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