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________________ 364 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) खा गया होगा। उसके बजाय तो हम दो आने कम लेंगे'। ऐसा नहीं रखना है कि अंदर उसे शंका हो। यानी पहले से ही दो आने कम लेता था। प्रश्नकर्ता : जितने का आपने खरीदा हो उससे कम? दादाश्री : हाँ, बारह आने दिए हों तो उसे ऐसा कहते थे कि 'दस आने दिए हैं। यानी कि मैं हर एक चीज़ में दो-तीन आने कम ही लेता था। मँगवाने वाले को सस्ता बताता था, ताकि वह कहे कि, 'सस्ता लाया!' कई बार तो दो आने उसके और एक आना अपने पास से देकर भी चीज़ खरीद लेता था। ऐसे करके मँगवाने वाले को कीमत तीन आने कम बताता था। कमिशन का आरोप न लगे इसलिए अपने पैसे भरता था प्रश्नकर्ता : ज्ञान से पहले भी ऐसा रहना, वह एक अलौकिक चीज़ है न! दादाश्री : बचपन से ही ऐसा किया है। ताकि कोई ऐसा न कह दे कि मेरे पैसों में से कमिशन ले गया! मैं तो दस आने में लाता था और यह बारह आने दे आया, इसने दो आने ले लिए। ये लोग मुझ पर कमिशन का आरोप लगाएँगे, ऐसा सोचकर तीन आने कम बताता था। तीन आने कम कर देता था, दो आने नहीं। हाँ, वर्ना वे ऐसा समझते कि इसने कमिशन ले लिया। ले! अरे, कमिशन लेना मैंने सीखा ही नहीं कभी। फिर मेरे साथ वाले लोग कहते थे कि, 'कैसे इंसान हो, ऐसा कहीं होता है ? आपने दिए हैं बारह आने, तो बारह आने लेने में क्या हर्ज था?' मैंने कहा, 'नहीं भाई, क्योंकि अगर किसी और जगह पर मैं ठगा गया होऊँ तो?' हम तो भले इंसान हैं ! मन में ऐसा समझता था कि मैं तो भोला हूँ, शायद उस दुकानदार ने एक-दो आने ज़्यादा ले लिए हों तो। एक तो मुझे लेना नहीं आता, तो इसका क्या अर्थ
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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