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________________ [9] कुटुंब-चचेरे भाई-भतीजे 343 याद आते हैं कि 'दादा ने मुझे क्या कहा था?' इसलिए फिर हाथ वापस खिंच जाता है। वर्ना हाथ तो उठ ही जाता है ! उसे जो शब्द कहा था कि 'टकराव में नहीं आना,' तो टकराव नहीं। बस। दादाश्री : लेकिन मन में किसी के लिए खराब विचार नहीं आते हैं न? प्रश्नकर्ता (कांति भाई): नहीं, नहीं। खराब हों तो कह भी देता हूँ, हाँ। मुझे खराब विचार आ गया तो उसके मुँह पर कह देता हूँ कि, 'तू ऐसा है'। प्रश्नकर्ता (कांति भाई) महात्मा से : (शुरुआत में) जब मैं दादा के यहाँ जाता था न तब दादा मामा की पोल में रहते थे। तब मेरी उम्र सत्रह साल की थी, आज (1986 में) मेरी उम्र बासठ साल की है। दादाश्री : आप सब एक में से थे या ज़ीरो में से? प्रश्नकर्ता (2) : पूरी तरह से जीरो ही। दादाश्री : ऐसा? अब एक हो गया आपका? प्रश्नकर्ता (2) : हो गया। दादाश्री : बहुत काम हो गया फिर तो। प्रश्नकर्ता (कांति भाई) : मैं तो बहुत शरारती था, चाचा। दादाश्री : हाँ, लेकिन मेरे सामने बहुत सीधा रहता है। प्रश्नकर्ता (कांति भाई): वह तो ठीक है, लेकिन तब ऐसे काँपता था। क्यों? क्योंकि मेरे फादर कहते थे न कि, 'आप ले जाओ इसे'। अभी भी मुझे याद है न कि काशी बा ने कहा था कि, 'आप इसे ले जाओ, मुझे इसका चेहरा भी नहीं देखना है'। इतना तक कह दिया था आपको। दादाश्री : हाँ, ऐसा कहा था न।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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