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________________ 328 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) रुपए दूंगा'। चिमन ने कहा, 'मैं तीन हज़ार दूंगा'। तब मैंने कहा कि, 'हमें ऐसा करना है कि इतने में काम हो जाए'। फिर मैं और मनु वहाँ मुंबई से निकले और सूरत पहुँचे। वहाँ धर्मज का एक लड़का था। सुविधाएँ कुछ ज्यादा नहीं थीं उसके पास लेकिन यों था अच्छा। वह भादरण का भतीजा था। फिर उसके ननिहाल वालों ने तो कहा कि, 'हमें करनी ही है'। तब मैंने उसके ननिहाल में साफ-साफ बता दिया कि 'इसका बाप दिमाग़ से ज़रा क्रेक है और लड़की कम पढ़ी-लिखी है। शादी अच्छी करेंगे, उसकी चिंता मत करना। अन्य कोई शर्त-वर्त नहीं चलेगी'। तो भादरण वाले ने कहा, 'फिर से ऐसा नहीं मिलेगा'। तब तुरंत ही धर्मज वालों ने 'हाँ' कह दिया। मनु भाई उन दिनों इतने सुंदर और आकर्षक दिखाई देते थे। यों फर्स्ट क्लास कपड़े पहने हुए थे, राजा जैसे दिखाई दे रहे थे। वह लड़का तो मुझे और मनु भाई, दोनों को देखकर ही खुश हो गया। उसने ऐसा कहा, 'मुझे अगर शादी करनी है तो यहीं पर करनी है। चाहे कैसी भी लड़की हो, चाहे पागल हो फिर भी इन्हीं के यहाँ शादी करनी है। तो यों ही तय कर लाए फिर बारात आई और उसने शादी की। अब लड़की को कपड़े कौन देता इन दोनों में से? किसी ने भी नहीं दिए इसलिए फिर मैंने कपड़े देने का कह दिया कि, 'तेरे बारह महीने के कपड़े हमारी तरफ से'। तो पंद्रह सौ रुपए अलग रख दिए। उसका सौ-सवा सौ रुपये ब्याज आता था। उसके बाद उस लड़की को पाँच साल तक ब्याज दिया। फिर उस लड़की ने कहा, 'मुझे वहाँ सोसाइटी में मकान बनवाना है, आप नकद दे दीजिए'। उसके बाद (वे पैसे) मैंने उसे दे दिए। ___अब उसकी बेटी की शादी के समय उसके दो भाईयों ने मुझसे कहा, 'इस भाई को आप संभाल लेना'। क्या कहा? क्योंकि, उसकी खुद की बेटी थी, उसके दो भाई खुद के खर्च से उसकी शादी करवा रहे थे तब यह क्या कहता है, 'उन्हें शादी करवानी हो तो करवाए, लेकिन मैं शादी में नहीं आऊँगा'। तब फिर मैंने इन लोगों को सिखाया कि एक
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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