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________________ [8.4] भाभी के उच्च प्राकृत गुण उच्च चरित्र और शीलवानपना प्रश्नकर्ता : चरित्र के मामले में भाभी में आपको टॉप क्लास क्या दिखाई दिया? दादाश्री : हाँ। पूरे मुहल्ले में कोई भी उनका नाम नहीं ले सकता था। नाम लिया तो आ बनी । शेरनी जैसी स्त्री थीं! यदि किसी ने छेड़ा तो ऐसे आँखें निकालतीं कि वह काँप जाता था। क्योंकि शीलवान थीं ! उसमें दो मत नहीं । कोई पुरुष दृष्टि नहीं बिगाड़ सकता था। यदि कोई उनकी तरफ दृष्टि बिगाड़े तो समझो मर गया। बल्कि मारती थीं। चाहे कहीं भी हों, चप्पल से मारती थीं। पूरा बाज़ार खड़ा हो फिर भी । उसके जोड़ तोड़ देती थीं, ऐसी थीं। वे राजपूतानी जैसी स्त्री थीं ! | चरित्र में बहुत उच्च थीं । सती जैसी । ऐसा चरित्र किसी का भी नहीं देखा था। पूरे घर में उनका बहुत उच्च चरित्र देखा मैंने। भाभी का चरित्र एक नंबर का, हाइ क्लास चरित्र ! उनका पहनावा आम स्त्रियों जैसा नहीं था। पूरे भादरण गाँव में सभी स्त्रियों के पैर के टखने दिखाई देते थे, इनके टखने कभी भी नहीं दिखाई दिए। जब भी भाभी साड़ी पहनती थीं न, तो उनकी साड़ी यहाँ तक होती थी। पैर के टखने एक धागे के बराबर भी नहीं दिखाई देते थे। कभी भी नहीं दिखाई दिए । जब चलती थीं, उस समय भी कभी दिखाई नहीं दिए। साड़ी भी धूल वाली नहीं हो जाती थी, नीचे धूल नहीं लगती थी । तू समझ गई ? प्रश्नकर्ता: समझ गई । कितनी होशियार होंगी ? कैसी होशियार !
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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