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________________ [8.3] व्यवहार लक्ष्मी का, भाभी के साथ 267 अतः गाँव में कोई मुझे ऐसा नहीं कह सकता कि 'आपकी भाभी की शिकायत है'। वर्ना हमारे पाटीदार तो 'चलो, डाँटते हैं, इस बहाने मज़ा आएगा'। हमारे यहाँ काम ही यह है, लोगों का। लेकिन मैं ऐसा कैफ रखू तभी न! कैफ ही नहीं रखता और किसी जगह पर क्लेम बाकी नहीं रखता। पच्चीस हज़ार दे दूं लेकिन सामने वाला क्लेम कर सके, ऐसा नहीं रखता। नहीं मिलेगा ऐसा भगवान जैसा देवर कहीं भी उनके भाई क्या कहते थे, जानते हो आप? उनके सगे भाई हैं लेकिन वे साफ-साफ ऐसा कहते थे कि इस पाटीदार की पूरी जाति में मैंने ऐसा कोई पटेल नहीं देखा जो मेरी इस बहन को पाल लेता। पूरी बिरादरी में आपके जैसा कोई देवर नहीं मिलेगा, जिसने अपनी भाभी जो इतनी कम उम्र में विधवा हो गई हो, उसे इस प्रकार से रखा हो! हमारे यहाँ तो सब को माँ-बाप ही संभालते हैं, हमारी बिरादरी में जो भी विधवा हो जाए, उसे! उसे उसके हिस्से की जायदाद दे देते हैं लेकिन और किसी भी तरह से ध्यान नहीं रखते। मैंने कहा, 'हमारे यहाँ तो ऐसा नहीं है। हमारे घर पर ज़रा सा भी दुःख नहीं होने देते'। इन हीरा बा ने भी दुःख नहीं होने दिया। दिवाली बा ने खुद हीरा बा से कहा था कि, 'आपको तो मैंने दुःख दिया था लेकिन क्या आप भी मुझे दुःख दोगी? उसका बदला लोगी?' तो हीरा बा ने कहा कि, 'नहीं, मुझे नहीं लेना है'। अतः उन्होंने (हीरा बा ने) किसी भी तरह का क्लेम रखा ही नहीं। मैंने कहा, 'वर्ना हमारी खानदानियत चली जाएगी। वे भले ही पूरे मकान का उपयोग करें, और भी कुछ चाहिए तो देते रहेंगे'। लेकिन फिर भी उनकी भूख मिटी नहीं कभी भी! खुद उनके भाई भी कहते थे कि, 'इतना लोभ है लेकिन भगवान जैसा देवर मिला है'। वे तो भगवान ही कहते हैं। उनकी बहन से ऐसा कहते हैं कि, 'ऐसा देवर नहीं मिलेगा'। फिर भी उनकी बहन के मन में ऐसा ही है कि, 'नहीं, ऐसा तो आप कहते हो, मैं नहीं मानती। आप मानते हो।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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