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________________ [8.2] भाभी को उपकारी माना भाभी ने उतारा हमारा अहंकार हमें हीरा बा ने कभी परेशान नहीं किया। हीरा बा ने तो दुःख ही नहीं दिया कभी भी। झवेर बा ने भी नहीं, मणि भाई ने भी नहीं, मूलजी भाई ने भी नहीं। इन भाभी ने ज़रा परेशान किया था, हिसाब होगा न पिछला? प्रश्नकर्ता : हिसाब के बिना तो हो ही नहीं सकता न! दादाश्री : यह सारा हिसाब ही है। वह तो मुझे पहले से ही पता चल गया था कि यह हिसाब चुका रही हैं। प्रश्नकर्ता : पता चल गया फिर भी आपका झगड़ा होता रहता था भाभी से? दादाश्री : बहुत! पूरी जिंदगी चला। अभी भी चल रहा है। अभी भी कमी नहीं हुई है। मेरी भाभी कहती हैं कि 'जब तक आपमें क्रोध है, तब तक आप सर्वज्ञ नहीं बन पाओगे'। तब मैंने कहा, 'मैंने ज़रा एक कोने में जो क्रोध रखा हुआ है न, वह आपके लिए ही छोड़ा है। यों तो वे ज़रा साफ इंसान थीं न, इसलिए ज़रा बेअदब थीं! वे भी बेअदब और मैं भी बेअदब। फिर देख लो मज़े! दोनों ही बेअदब थे न! प्रश्नकर्ता : तो वे छोड़ क्यों नहीं देती थीं? दादाश्री : यों ही छोड़ देतीं क्या वे? मेरे साथ बहुत भारी बैर था।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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